उत्तरप्रदेश राज्य के गोंडा जिला से मनु सिंह मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बरसो पहले एक कहावत कही गयी थी 'बिन पानी सब सून' आज यह सच्ची साबित होती दिख रही है। प्रकृति और परंपरा हमेशा साथ रहे ,मनुष्य की इसे नियंत्रित करने की स्वार्थ से इनपर ग्रहण लग गया है।पानी के पारंपरिक स्रोत को निजी स्वार्थ के लिए नष्ट करने से परेशानी हो रही है। पानी के पारंपरिक स्रोतों में तालाब का महत्वपूर्ण स्थान है। जिस के विज्ञान और व्यवस्था को समझने में बहुत बड़ी गलती हो रही है। इससे पहले घरों और गांवों में पानी की व्यवस्था तालाबों में ही होती थी।लेकिन अब तालाब ,कुएँ सब सुख रहे हैं। लोगों को पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है