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संत कबीर नगर के रामपकाश सिंह आपको बताते रहते हैं कि समाज में महिलाओं का सम्मान किया जाना चाहिए और यहां तक कि महिलाएं भी बहुसंख्यक हैं। वे घरों में काम करते हैं, उन्हें सम्मान मिलना चाहिए और जहां तक भूमि अधिकारों की बात है, उन्हें प्राप्त करना आवश्यक है क्योंकि अगर उन्हें अधिकार नहीं मिलते हैं, तो उन्हें मिलेगा। उनकी पहचान करनी पड़ती है क्योंकि ज्यादातर बच्चे बड़े होने पर अपनी मां को घर से बाहर फेंक देते हैं। आजकल लड़कियाँ ऐसे लोग भी हैं जो शादी के बाद ज्यादातर लड़के दुल्हन से पूरी बात सुन लेते हैं और मां को निकाल देते हैं। महिलाओं को भूमि अधिकार मिलना चाहिए क्योंकि वे अपने माता-पिता की सेवा भी नहीं करती हैं और महिलाएं समाज में बहुसंख्यक हैं। उनका उद्देश्य यह है कि महिलाओं को अधिकार मिलें और जहां तक हर महिला को यह सोचना चाहिए कि उनके संपत्ति अधिकार अधिक से अधिक होने चाहिए क्योंकि सभी महिलाएं हैं। वे घर से काम करते हैं, वे खेतों में काम करते हैं, उन्हें समाज में भी आगे बढ़ना चाहिए।

उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से सरोज चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की महिलाओं को सशक्त बनाने से उनका जीवन बेहतर होगा। क्योंकि वे अपने और अपने परिवार के लिए सही निर्णय ले सकती हैं, इसलिए सशक्त महिलाएं अपने बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण में योगदान देती हैं। महिलाओं के व्यक्तिगत और भविष्य के विकास में मदद करता है, जबकि महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं, परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करने में योगदान देती हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से हमारे श्रोता से बातचीत की, उन्होंने बताया की अगर कोई भाई नहीं है तो संपत्ति का अधिकार होना चाहिए, और अगर कोई भाई है और भले ही बहन शादी नहीं कर रही हो तो भी संपत्ति का अधिकार मिलना चाहिए और अगर बहन शादी कर रही है तो उसे संपत्ति का अधिकार नहीं मिलाना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से अलोक श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं के अधिकारों पर, सरकार ने ग्रामीण और राजनीतिक शहरों के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका स्वयं सहायता समूहों जैसी विभिन्न योजनाओं को लागू किया है। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई गई हैं। माता-पिता के देखरेख में भूमि का अधिकार से सम्बंधित ऐसी कई योजनाएं चल रही हैं। ऐसी समस्याएँ सामने आ रही हैं जिनमें महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए। इसका मतलब है कि उन्हें पारिवारिक संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए। लड़कों या बच्चों के तहत जागरूकता का प्रसार कम हो रहा है ,जिसका वे समर्थन नहीं कर पा रहे हैं,और इसलिए उन्हें अधिकार नहीं मिल रहा है। अगर कोई शिक्षित महिला है, तो वह अधिकार ले सकती है

नमस्कार समक्वीर नगर मुबार वाणी से आलो श्रीवास्तव सुधा जी, वह महिलाओं के अधिकारों के बारे में कुछ विचार देंगी। वह एक स्वतंत्र जीवन जीना चाहती है और जैसे कि उसके पास संपत्ति है, उसका उस पर अधिकार है और उसके पति की नौकरी का उस पर अधिकार है। पत्रिका का मालिक भी मालिक होता है और जिस छात्र को अध्ययन करना होता है, उसे भी लेखन या प्रशिक्षण का अध्ययन करने की अपनी पसंद के अनुसार अपने स्वतंत्र जीवन से अपना अध्ययन लिखने का अधिकार है। अगर आप नौकरी करना चाहते हैं तो आपको उसमें अपने अधिकार की घोषणा करनी चाहिए और वह इसे अपने अधिकार के साथ करती है। अगर बच्चा शिक्षित है, तो उसे भी अधिकार है। पति को यह जानने का अधिकार है कि वे कहाँ से आ रहे हैं और क्या ला रहे हैं। पत्नी को पूरा अधिकार है, वह अपनी जीवन संपत्ति अपने अनुसार खर्च करना चाहती है, इसलिए यह सभी महिलाओं का अधिकार है और यह काम करने का अधिकार है। चाहे वह सरकारी हो या निजी, अपना जीवन खुद चुनें, अपनी पसंद के अनुसार अपना काम करें, चाहे आपके पास शिक्षण की नौकरी हो, मैं स्कूल में पढ़ाना चाहता हूं या नहीं। यदि आप कहीं निजी नौकरी करना चाहते हैं, तो उन्हें अपना निर्णय लेने का अधिकार है, वे अपना काम करते हैं, वे अपना जीवन जीना चाहते हैं। यह कहीं चलने जैसा हो सकता है, बिंद्रावन या वैष्णो देवी कहीं आई-गई हैं, तो वह अपना निर्णय ले सकती हैं और जा सकती हैं। ये सभी अधिकार महिलाओं के हैं।

महिलाएं प्राचीन काल से ही समाज का हिस्सा रही हैं और वे हर लड़ाई में योगदान देती हैं लेकिन आज तक महिलाओं को संपत्ति का अधिकार नहीं मिला है। महिलाओं को संपत्ति का अधिकार प्राप्त करने के लिए भी शिक्षित किया जाना चाहिए। शिक्षा के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाए जाने चाहिए ताकि महिलाएं संपत्ति के अधिकारों के बारे में जागरूक हो सकें और कुछ लोगों का सम्मान कर सकें। ऐसा माना जाता है कि महिलाओं का संपत्ति का अधिकार कहीं न कहीं कलह का कारण बन सकता है क्योंकि अगर उन्हें पैतृक संपत्ति का अधिकार दिया जाता है, तो आने वाले समय में एक घरेलू हिंसा भी हो सकती है। हालांकि हमारे समाज में कहीं न कहीं महिलाएं अभी भी पीछे हैं और जिसके कारण उन्हें अपने हकों के बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही है। महिलाओं का शिक्षित होना सबसे महत्वपूर्ण है। केवल शिक्षा ही जागरूकता ला सकती है। अन्यथा, आने वाले समय में, महिलाओं को वैसे ही छोड़ दिया जाएगा जैसे वे हैं और उन्हें संपत्ति के अधिकार से मुक्त कर दिया जाएगा।

दोस्तों, भारत के स्वतंत्रता आंदोलन ने महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया। इसने उन्हें शिक्षा, राजनीतिक भागीदारी, सामाजिक सुधार और आर्थिक सशक्तिकरण के द्वार खोलने का अधिकार दिया। आज भी, स्वतंत्रता सेनानी महिला सशक्तिकरण और समानता के लिए संघर्ष करने वाली असुविधा के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हुई हैं। लेकिन इसके बावजूद महिलाओं को भूमि अधिकार प्रदान करना न केवल न्याय और समानता का प्रश्न है, बल्कि यह हमारे समाज के पूर्ण और सही मायनो में विकास और समृद्धि के लिए भी बहुत अधिक आवश्यक है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- महिलाओं के लिए भूमि का अधिकार मिले इसके लिए आप क्या करना चाहेंगे, आपके हिसाब से महिलाओं को भूमि का अधिकार न मिलने से पुरुषों में सबसे बड़ी अड़चन क्या है? और इसे कैसे दूर किया जा सकता है, *----- भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित महिलाओं को किस तरह आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली, और उसके समाज पर उसका क्या प्रभाव आया? *----- आपके हिसाब से महिलाओं के सशक्त होने से समाज में किस तरह के बदलाव देखने को मिल सकते हैं?

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उत्तप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से अंश श्रीवातव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की महिलाओं के अधिकार मानवाधिकार हैं, जिनमें हिंसा और भेदभाव से मुक्त रहने का अधिकार, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम सुविधा प्राप्त करने का अधिकार, शिक्षित होने का अधिकार, संपत्ति रखने का अधिकार, वोट देने का अधिकार और समान वेतन का अधिकार शामिल है।