सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
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सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे और जानेंगे पैसों के सही निवेश के बारे में
यह नौकरी उनके लिए है जो आदियोग इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड से जुड़कर रिसेप्शनिस्ट के पद पर कार्य करना चाहते है। इस पद पर कार्य करने का कार्यस्थल लखनऊ,उत्तरप्रदेश होगा। न्यूनतम स्नातक पास व्यक्ति जिनके पास इस पद पर कार्य करने का एवं माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस में काम करने का कम से कम एक साल का अनुभव प्राप्त हो ,साथ ही अंग्रेजी और हिंदी भाषा का अच्छा ज्ञान रखते हो ,वे इस पद के लिए साक्षात्कार दे सकते है। चयनित व्यक्तियों को उनके कार्य अनुसार प्रतिमाह 10 हज़ार से 15 हज़ार रूपए वेतन दिया जाएगा। इच्छुक व्यक्ति इस पद सम्बंधित अधिक जानकारी लेने के लिए कंपनी के इस नंबर पर संपर्क कर सकते है। नंबर है : 7905099485 .
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किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीवदास साहू गर्मी के दिनों में लत्तर वाली फसलों में लगने वाली रोग और नियंत्रण के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसकी पूरी जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
उदास होने पर हंसा देती है माँ नींद नहीं आने पर सुला देती है माँ मकान को घर बना देती है माँ खुद भूखी रह कर भी बच्चों का पेट भर्ती है माँ जी हां दोस्तों, माँ होती ही ऐसी हैं और माँ का इसी त्याग, समर्पण और प्यार पर समर्पित है मदर्स डे यानि मातृत्व दिवस। आज के दौर में यह दिन हर माँ के सम्मान में मनाया जाता है। आइये जानते हैं मदर्स डे मनाने की परंपरा की शुरुआत कब और कैसे हुई। दरअसल मदर्स दे 20वीं सदी की शुरुआत में अन्ना जार्विस द्वारा स्थापित किया गया था, जो उनकी अपनी मां के मानवीय कार्यों के प्रति समर्पण से प्रेरित था।1914 में , राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका में मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में नामित किया, जिसे बाद में अन्य देशों ने अपनाया। साथियों,एक और खास बात यह है कि हर साल मातृ दिवस का एक अलग थीम होता है और इस बार का थीम है "सेलिब्रेटिंग मदरहुड: ए टाइमलेस बॉन्ड". मदर्स डे ना सिर्फ मां को समर्पित है बल्कि उनके त्याग, बच्चों के लिए समर्पण और खुद से ज्यादा बच्चों के लिए प्रेम की सराहना भी करता है.मां और बच्चे का रिश्ता हर रिश्तों से बड़ा होता है. साथियों, मोबाइल वाणी के पुरे परिवार की ओर से आप सभी को मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं । धन्यवाद !!