उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि एक कवि द्वारा एक कविता लिखी गयी थी कि यह प्राचीन काल से चली आ रही है, लेकिन महिलाएं अभी तक अपने अधिकारों की पूरी तरह से हकदार नहीं हुई हैं। सरकार और आम जनता समानता के अधिकार की बात करती है, लेकिन आज भी महिलाएं अपने समाज से अपने अधिकारों से परे हैं। जब तक उन्हें भूमि और संपत्ति का पूरा अधिकार नहीं दिया जाता, तब तक महिलाओं का अधिकार आधा अधूरा रह जाएगा। जब शिक्षा , रोजगार , व्यवसाय ,कृषि और खेती महिलाओं के हाथ सभी बराबर दिए जा रहे हैं, तो लोग संपत्ति का अधिकार देने से क्यों डरते हैं। महिलाएं प्राचीन काल से ही समाज का दर्पण रही हैं और एक महिला अपने बच्चे को जिस ढाल में ढालना चाहे ढाल सकती है लेकिन जब अधिकारों की बात आती है, तो महिलाओं को अधिकार देने की बात जब होती है लोग कतराते हैं। लोगों को सोचना चाहिए की आखिरकार, वह आपकी बहन है, आपकी बेटी है, आपकी मां है, इसलिए जब उनके पास अधिकार नहीं रहेगा , तो उनके पास आधी जानकारी होगी।इसलिए शिक्षा भी जरूरी है कि शिक्षा यदि उन्हें प्राप्त होगी तो जानकारी भी उन्हें प्राप्त हो जाएगी