उत्तप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से के सी चौधरी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि ग्राम पंचायतों में अगर पंचायत की मुखिया महिला है तो उसका अधिकार उसके पति के पास है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि वह भी जाता है। जिस तरह से यह अपना विकास कार्य कर रहा है, यह देखा जाता है कि प्रखंडों में भी महिलाओं की संख्या कम हो जाती है, जबकि सरकार महिलाओं के लिए लगभग पैंतीस प्रतिशत आरक्षित करती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि बैठक के दौरान महिलाएं मौजूद नहीं होती हैं और पुरुष अपने स्थान पर कुर्सी पर बैठते हैं और यहां अपने अधिकार का दावा करते हैं। कृषि में महिलाओं के अधिकार भी सरकार द्वारा दिए गए हैं, जो एक तरह से प्रभावी साबित हो रहे हैं, लेकिन महिलाएं बाहर जाकर घर पर नहीं रह पा रही हैं। आज भी बड़ी संख्या में महिलाएं अनपढ़ हैं, जिसके कारण वे अपनी नौकरी खो देती हैं।