उत्तप्रदेश राज्य के संत कबीर नगर से अलोक श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि पैतृक संपत्ति में समान हिस्से के लिए बेटियों के कानूनी अधिकारों में संशोधन किया। यह अधिकार संविधान में दो हजार पाँच से पहले उन्नीस सौ छप्पन में दिया गया था, लेकिन इसे पूरा किया गया। संपत्ति पर दावों और अधिकारों के प्रावधान के लिए इस कानून को उन्नीस सौ पचास में विस्तृत किया गया था। यह उन्नीस सौ छप्पन में बनाया गया था, लेकिन इसके अनुसार, पिता की संपत्ति पर बेटों का उतना ही अधिकार है जितना बेटों का। अर्थात्, यदि दो बेटों और एक बेटी के पास तीन बीघा जमीन है, तो एक बीघा पर तीनों का अधिकार इस प्रकार हैः उन्नीस सौ छप्पन में संविधान बनाया गया था कि एक बेटी का उस संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है जो मैंने पिता को स्वयं सौंपी गई संपत्ति से अर्जित की है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बेटी शादीशुदा है या नहीं या नहीं, भले ही वह शादीशुदा न हो, यह पिता का समन है।