ग्राम प्रधान और ग्राम रोजगार सेवक के द्वारा मनरेगा के नियमों का धज्जिया उड़ाई जा रही है

महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

मनरेगा मजदूरों मिले सौ दिन का रोजगार अंबेडकरनगर मनरेगा मजदूर संघ जिला संयोजक चंद्रशेखर वर्मा ने कहा कि मजदूरों को ......

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

अंबेडकर नगर जिले के आदमपुर की आशा देवी ने बताया कि उन्हें ₹500 निराश्रित महिला के रूप में प्रतिमाह पेंशन मिलती थी किंतु अब यह पेंशन की राशि ₹1000 प्रतिमाह मिलने की घोषणा हुई है जिससे वह काफी खुश है उन्होंने इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद भी कहा है

Pensan ki rasi 1000ki khusi

महंगाई के हिसाब से पेंशन में बढ़ोतरी की जाए

सरकार का दावा है कि वह 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है, और उसको अगले पांच साल तक दिये जाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में यह भी दावा किया कि उनकी सरकार की नीतियों के कारण देश के आम लोगों की औसत आय में करीब 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान वित्त मंत्री यह बताना भूल गईं की इस दौरान आम जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है।