उत्तरप्रदेश राज्य के आंबेडकर नगर ज़िला से हमारे श्रोता ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि श्रमिक कार्ड या लेबर कार्ड, श्रमिक कार्ड में लिंक मोबाइल नंबर अगर गायब हो गई हो या किसी कारणवश बंद हो गया है तो उसे कैसे चेंज कराया जाए ?

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सवाल है कि जिस कानून को इतने जल्दबाजी में लाया जा रहा हैं उसके लागू करने के लिए पहले से कोई तैयारी क्यों नहीं की गई, या फिर यह केवल आगामी चुनाव में राजनीतिक लाभ पाने के दृष्टिकोण से किया जा रहा है।

उत्तरप्रदेश राज्य के आंबेडकर नगर जिला के टांडा से सीमा वर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से सोलर पैनल लगवाने के बारे में जानना चाहती है ?

गठबंधन द्वारा बैन किये जाने के बाद के सबसे पहला विरोध इन एंकरों की तरफ से आया ‘जिन्होंने नाखून कटाकर शहीद होने की घोषणा कर दी’, खुद पर लगाए बैन को आपातकाल घोषित कर पत्रकारिता पर हमला तक करार दे दिया। जिन 14 एकंरों पर बैन लगा उनमें से ज्यादातर ने बैन वाले दिन भी अपने प्रोग्राम किये, और अपने प्रोग्राम में विपक्ष द्वारा लगाए गये बैन को गलत बताया लेकिन उनमें से किसी एक ने भी यह बताने कि हिम्मत नहीं कि बैन लगाए जाने के पीछे का कारण क्या है? जबकि दर्शकों को यह बात सबसे पहले बताई जानी चाहिए थी जबकि यह पेशगत ईमानदारी से जुड़ा मसला है।

1947 में जब भारत को आजादी मिली तब सबसे पहला सवाल यही था कि देश का नाम क्या होगा? इसके लिए संविधान सभा ने गहन विचार-विमर्श किया, इस पर कई अलग-अलग बहसें हुईं, कई नामों के प्रस्ताव आए, वोटिंग कराई गई। इस सब के बाद इसका नाम भारत और इंडिया माना गया, उसके बाद देश को नाम मिला ‘India that is Bharat’ इस बात को संविधान के पहले अनुच्छेद में ही स्पस्ट कर दिया गया कि जो इंडिया है वही भारत है। हमारे पूर्वज देश का नाम चुनने को लेकर इतनी मेहनत पहले ही कर चुके हैं, तब 75 साल से ज्यादा के बाद नाम बदलने का फैसला करना या फिर उसके बारे में सोचना कितना सही है।

बीते अगस्त की आखिरी शाम को खबर आई कि सरकार सितंबर महीने की 18-22 तारीख को संसद के विशेष सत्र का आयोजन करेगी, संसदीय कार्य मंत्री ने घोषणा की, लेकिन इस विशेष सत्र का एजेंडा क्या है वह नहीं बताया। विशेष सत्र के आयोजन की खबर के बाद से मीडिया से लेकर राजनीति के हर हल्के में कानाफूसी है कि सरकार ये कर सकती है, वो कर सकती है लेकिन पुख्ता तौर पर कोई भी जानकारी किसी के पास नहीं है कि सरकार क्या करने जा रही है।

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भारत में डॉक्टरों के लिए पहली बार इंटरनेट मीडिया दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इसमें राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने कहा है कि डॉक्टर इंटरनेट मीडिया पर मरीजों की जानकारी पोस्ट न करें। एनएमसी ने आरएमपी यानि रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर  के लिए हाल ही में जारी पेशेवर आचरण संबंधी नियम में कहा है कि डॉक्टरों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इंटरनेट मीडिया पर लाइक, फॉलोअर्स बढ़ाने की होड़ में शामिल होने से बचना चाहिए।एनएमसी द्वारा दो अगस्त को अधिसूचित नियमों में कहा गया कि डॉक्टरों को इंटरनेट मीडिया पर मरीजों के इलाज की चर्चा नहीं करनी चाहिए।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

किसानों की आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक कृषि में किसानों को सहयोग के अलावा केंद्र सरकार उन्हें नई राह भी दिखा रही है। इस दिशा में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ऐसी फसल पर काम शुरू किया है, जो न सिर्फ परती भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाएगी, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद करेगी। दरअसल, यह खेती  कांटा रहित कैक्टस  की है, जिसका फल खाने में उपयोग होता है।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।