उत्तरप्रदेश राज्य के आंबेडकर नगर जिला से आशीष श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की जैसा कि इस समय सभी लोगों द्वारा देखा जाता है, यह सुना जाता है कि बाबा जो भी धार्मिक दुकानें चला रहे हैं, अधिकांश लोग उनके पास आते हैं और भगदड़ के कारण कोई न कोई दुर्घटना हो जाती है। ऐसी ही एक घटना अभी हाथरस में देखी गई है दोस्तों, जहाँ तक आस्था की बात है, इसे रोका नहीं जा सकता क्योंकि अगर इसे रोक दिया गया तो कोई भी एक धर्म बंद हो जाएगा। आंदोलन और हिंसा की संभावना है क्योंकि कुछ लोग किसी धर्म में अधिक विश्वास करते हैं
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उत्तरप्रदेश राज्य के अम्बेडकर नगर से आशीष श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लोग अपनी जरूरतों के लिए प्रकृति के साथ खेल रहे हैं। मनुष्य की आवश्यकतायें इतनी बढ़ गयी हैं कि मनुष्य पेड़ पौधों के साथ-साथ पहाड़ों से भी खिलवाड़ कर रहे हैं । बढ़ती आबादी के साथ-साथ लोगों को खेतों और रहने के लिए स्थानों की आवश्यकता होती है जिनके लिए मनुष्य पेड़ पौधों को काटते चले जा रहे है, हरे-भरे जंगल जो हमारी प्रकृति के स्रोत हैं, प्रकृति पर्यावरण के लिए बहुत फायदेमंद होते है,जिसका मनुष्य अपनी जरूरतों के लिए खिलवाड़ किये जा रहे हैं और पेड़ों को काटते जा रहा है। अब लोगों की इच्छाएं इतनी बढ़ गई हैं कि लोगों की नई तकनीक, जिससे अंडरलाइन पाइप बिछाई जा रही है, उससे पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है। और बड़ी-बड़ी मशीनों से सीवर लाइन के नीचे भूमिगत खुदाई करके बिछाया जा रहा है जो पर्यावरण के साथ एक तरह की खिलवाड़ भी है। पर्यावरण के साथ खिलवाड़ के कारण कई प्रकार की बीमारियाँ या कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। पर्यावरण के साथ खिलवाड़ के कारण तूफान या बाढ़ की संभावना के साथ कई चीजें आती हैं, जो हमारे लिए बहुत हानिकारक है।मनुष्य अपनी आवश्यकताओं के लिए पहाड़ों को भी खोद खोद कर रास्ता बना रहा है ,जो देखने में अच्छा लगता है उतना ही हानिकारक है क्योंकि पहाड़ों के कटने के कारण, जो पहाड़ लगातार एक-दूसरे से सटे रहते हैं, उन्हें अचानक हटाने से एक आपदा आने और हमारी पूरी दुनिया या किसी एक क्षेत्र को नष्ट करने की संभावना बढ़ती है, मानव जाति इस तरह से लालची हो रही है कि वह अपने स्वार्थ के लिए लगातार प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है। आज जहाँ विज्ञान की तकनीक आगे बढ़ रही है, तकनीक के साथ-साथ प्रकृति से खिलवाड़ भी बढ़ रहा है, साथियों, हमें प्रकृति के साथ जितना संभव हो उतना कम व्यवहार करना चाहिए क्योंकि यही प्रकृति है जो हमारा मूल भूत और आत्मा है। क्योंकि प्रकृति इतनी अच्छी है और अगर प्रकृति गड़बड़ करती है, तो यह निश्चित है कि चारों ओर विनाश होगा, दोस्तों, हमें लगातार इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हरे-भरे पेड़-पौधे होने पर वह नष्ट न हो। नदियों के साथ खिलवाड़ न करें, पहाड़ों के साथ खिलवाड़ न करें, जो कुछ भी प्राकृतिक है उसके साथ खिलवाड़ न करें, जागरूक रहें और लोगों को प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करने के लिए जागरूक करें।
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उत्तरप्रदेश राज्य के अम्बेडकर नगर से आशिष श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को सशक्त बनाने से सभी के लिए एक अधिक न्यायपूर्ण और सक्षम समाज बनाने में मदद मिलती है। महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना बहुत महत्वपूर्ण है।सबसे पहले हमें समाज को जागरूक करना है, इसके लिए महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हमें समाज की हर पीढ़ी को स्कूलों में या संसद भवन में खड़ा करना है। चाहे लोकसभा हो या सड़क पर, हमें हर तरह से आंदोलन करना है और लोगों को सशक्त बनाने की जरूरत है। बुजुर्गों तक सभी लोगों को सबसे आगे रहना होगा और लोगों को जागरूक करना होगा कि महिलाओं को सशक्त बनाने से हमारे समाज का विकास कैसे होता है। हमें कई बाधाओं को दूर करना है और एक समृद्ध महिला बनाना है और उसे हर क्षेत्र में आगे ले जाना है, दोस्तों, हमारी जो भी भूमिका है, हमें महिलाओं को अधिक से अधिक जिम्मेदारियां देनी हैं। हमें उनका समर्थन करना होगा और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना होगा, तभी महिलाओं को सशक्त बनाया जा सकता है।
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उत्तरप्रदेश राज्य के आंबेडकर जिला से आशीष श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की महिला सशक्तिकरण कहते हैं, वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा महिलाएं अपने जीवन पर नियंत्रण और रणनीतिक विकल्प चुनने की क्षमता प्राप्त करती हैं। महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार दिखाने के लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।यह इसलिए मनाया जाता है ताकि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके, समाज में महिलाओं को बढ़ावा दिया जा सके,महिलाओं का सशक्तिकरण अनिवार्य रूप से समाज में पारंपरिक रूप से वंचित महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण है।