मेरा नाम बसंती कुमारी है और मैं पेंड्रा रांची से हूँ और मैं आज आपको कच्चा पपीता का हलवा देने जा रहा हूँ ।कच्चा पपीता -मीडियम आकार का एक ,250 ग्राम क्रीम युक्त दूध ,एक छोटा चम्मच नारियल बुरा ,किशमिश,काजू ,बादाम -10 -15 एक कप गुड़ ( पाव ), इलायची पाउडर एक छोटा चम्मच ,घी स्वादानुसार बनाने की विधि -सबसे कच्चे पपीते को धो ले ,उसके अंदर काट कर निकाल ले ,और कद्दूकस कर ले। एक कड़ाही में घी गर्म करे और कद्दूकस किया हुआ पपीता दाल कर माध्यम आंच पर धीमे धीमे मुलायम,होने तक भुने। काजू तैयार कर लेंगे उसके बाद भुने हुए पपीता में दूध डाल कर गाढ़ा होने तक अच्छी तरह से पका लेंगे ,अब एक बर्तन में थोड़ा सा पानी लेकर उसमे गुड़ डाल कर उसे पतला कर लेंगे ,जब कड़ाही से घी छोड़ने लगे और पपीता दूध अच्छे से मिक्स हो कर गाढ़ा हो चूका हो तक इसमें गुड़ डाल देंगे ,अब इसे 15 मिनट तक मिलते रहेंगे जिससे ये कड़ाही पर चिपके नहीं अगर थोड़ा चिपकता है तो दो चम्मच और घी डाल सकते है और इसे अच्छी तरह मिलाकर उतार लेंगे और इसमें मेवे और इलायची पाउडर डाल कर मिक्स कर देंगे। तैयार हो गया कच्चा पपीता का हलवा। -

झारखंड के चतरा जिले से बसंती कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से आज आपको छिलका रोटी की रेसिपी बताने जा रही हूँ। सामग्री जो इसमें लगेगी- अरवा चावल मोटा या पतला-500 ग्राम। चने की दाल -250 ग्राम ,उड़द दाल 100 ग्राम ,हल्दी-एक छोटा चम्मच ,काली मिर्च पावडर -एक छोटा चम्मच ,हरी मिर्च 4-5, टमाटर -3 ,हरी धनिया पत्ती एक छोटा बण्डल एवं हरी सब्जियां -जैसे फ्रेंचबीन , गाजर, पत्ता कोभी ,फूल कोबी ,मटर ये सारे 100 100 ग्राम की मात्रा में रहेगी। आप इसमें पालक का भी इस्तेमाल कर सकते है। बनाने की विधि - चावल और दोनों दाल को पानी में कम से कम दो घंटे के लिए भिगो कर रख देंगे। जब ये अच्छी तरह फूल जाय तब इसे दो तीन पानी से अच्छे तरह से धो लेंगे। अब इसे मिक्सी में अच्छी तरह से पीस लेंगे और एक न बहुत ज्यादा पतला और न ज्यादा बहुत गाढ़ा लिक्विड तैयार कर लेंगे। अब इसमें मिक्स करने के लिए जितनी सब्जियाँ रखी है उसको अच्छी तरह से धो कर महीन महीन काट लेंगे। अब इसमें सारे मशाले को दाल कर अच्छी तरह मिक्स कर लेंगे। इसके आगे अब एक तवा लेंगे और गैस पर इसे गर्म करेंगे। अब इसमें एक चम्मच तेल डालेंगे तेल आप कोई भी इस्तेमाल कर सकते है। एक चम्मच जो तेल तवा पर डाले थे उसको अच्छी तरह फैलाकर इसमें एक डब्बू लिक्विड डालेंगे और इसके ऊपर एक बर्तन से देख कर 5 मिनट के लिए पकाएंगे, जैसे ही 5 मिनट हो जाए इसे किनारे से उखाड़ेंगे और पलट देंगे और फिर धक् कर 5 मांट के लिए पकाएंगे। जब ये दोनों तरफ से पाक जाए तब आपका छिलका रोटी तैयार है। ये ठण्ड के दिनों में ज्यादा बनायीं जाती है क्योंकि उस समय सब्जियाँ बहुत ताज़ी और अलग प्रकार की मिलती है आप चाहे तो इसमें पाल भी महीन महीन काट कर मिक्स कर सकते है। इससे ये और भी स्वादिष्ट बनता है और देखने में भी बहुत सूंदर लगता है। आप इस छिलका रोटी को कोई खट्टी या मीठी चटनी के साथ खा सकते है

फुटकल की चटनी बनाने की विधि बताने जा रही हूँ। यह झारखण्ड के जंगलो में पाया जाना वाला एक पेड़ है जिसकी कोपल पत्तियां जब तक नहीं खिलती है तब तक इसका इस्तेमाल खाने के विभिन्न रूपों में होता है देखने में यह एक कोपालनुमा दीखता है। इसमें विटामिन सी पाया जाता है। फुटकल -100 ग्राम लहसुन की कलियाँ - 6-7 हरी मिर्च -3 ,इमली -3 -4 सरसो तेल -एक चम्मच नमक -स्वादानुसार  बनाने की विधि - सबसे पहले फुटकल को अच्छी तरह से धो कर साफ़ कर लेंगे उसके बाद उसकी आगे की और पीछे के पार्ट जो डंढ़लनुमा रहती है उसको को काट कर निकाल देंगे। अब इसे अच्छी तरह दूप में सूखा लेंगे ,जब इसकी चटनी बनानी है तब इसे एक घंटा फुला लेंगे जिससे यह मुलायम बन जाय अब इसे पानी से छान कर निकाल देंगे उसके बाद मिक्सी या सिलबट्टे पर इसमें नमक,हरी मिर्च ,लहसुन की कलियाँ के साथ पीस लेंगे।चटनी को महीन पिसेंगे तभी चटनी खाने में अच्छी लगेगी।पीस कर इसे एक कटोरे या किसी भी बर्तन में निकल लेंगे और इसमें एक चम्मच सरसो तेल कच्चा डाल कर मिला लेंगे इस तरह से फुटकल की सुखी चटनी तैयार हो गयी।अगर आपको ज्यादा खट्टा करना है तो आप इसमें तीन से चार इमली भी फुलाकर इसके पल्प का इसमें इस्तेमाल कर सकते है ये चटनी गर्मी के मौसम बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक है और इसमें विटामिन सी पाया जाता है और ये पेट को ठंडक प्रदान करता है। 

फुटकल की चटनी बनाने की विधि बताने जा रही हूँ। यह झारखण्ड के जंगलो में पाया जाना वाला एक पेड़ है जिसकी कोपल पत्तियां जब तक नहीं खिलती है तब तक इसका इस्तेमाल खाने के विभिन्न रूपों में होता है देखने में यह एक कोपालनुमा दीखता है। इसमें विटामिन सी पाया जाता है। फुटकल -100 ग्राम लहसुन की कलियाँ - 6-7 हरी मिर्च -3 सरसो तेल -एक चम्मच नमक -स्वादानुसार  बनाने की विधि - सबसे पहले फुटकल को अच्छी तरह से धो कर साफ़ कर लेंगे उसके बाद उसकी आगे की और पीछे के पार्ट जो डंढ़लनुमा रहती है उसको को कट  निकाल देंगे। अब इसे एक बर्तन में तीन बड़े कप  से पानी डाला कर आँच पर रख देंगे अब इसमें सारे फटकल को दाल कर 10 से 15 मिनट तक उबालेंगे। जब इसमें उबाल आ जय तब इसे ठंडा करेंगे और इसे पानी से निकाल कर छान लेंगे और थोड़ी देर के लिए ठंडा होने देंगे ,जब ये ठंडा हो जाय उसके बाद मिक्सी या सिलबट्टे पर इसमें नमक,हरी मिर्च ,लहसुन की कलियाँ के साथ पीस लेंगे।चटनी को महीन पिसेंगे तभी चटनी खाने में अच्छी लगेगी।पीस कर इसे एक कटोरे या किसी भी बर्तन में निकल लेंगे और इसमें एक चम्मच सरसो तेल कच्चा डाल कर मिला लेंगे ,लो फुटकल की चटनी तैयार हो गयी। आपको बताना छाएंगे की ये बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक है और इसमें विटामिन सी पाया जाता है और ये पेट को ठंडक प्रदान करता है। 

खाने की सामग्री

अभी पिछले दिनों एक समाचार आया था कि प्री वेडिंग सूटिंग मे 15 दिनों तक साथ रहते हुए लड़की फोटोग्राफर के साथ ही भाग गई, लड़का हाथ मलता रह गया । एक सभ्य समाज के ताने बाने को तार तार कर रहे इस कुकृत्य को सबको मिलकर तत्काल प्रभाव से रोकने का प्रयास करना चाहिए। विचारणीय है कि हम अपने समाज को कहां ले जाना चाहते हैं। विवाह के बाद बंद कमरे में होने वाले प्रेमालाप को पूरे परिवार और समाज को खुलेआम दिखाकर हम कौन सा आदर्श स्थापित कर रहे हैं ? देखा देखी के इस दिखावे का आखिर उद्देश्य क्या है ।यह तो विचार किया जाए कि लाखों रुपए बर्बाद कर इन अश्लील दृश्यों से आने वाली पीढ़ी पर क्या असर हो रहा है ? क्या यह प्री वेडिंग ,प्री हनीमून नहीं है ? सभी बुद्धिजनों से करबद्ध निवेदन है, विशेष रूप से अपनी बहनों , बेटियों और माताओं से चरण वंदना है इस कुकृत्य हेतु जिद्द न करें। अंधानुकरण की दौड़ में बहुत कुछ पीछे छोड़ दिया है हमने किंतु ऐसा कुकर्म तो बाद में बहुत रुलाएगा।

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आज चतरा के नए एसडीपीओ संदीप सुमन ने पदभार ग्रहण किया। चतरा के 21 वें एसडीपीओ के रूप में संदीप सुमन ने अविनाश कुमार से पदभार लिया।

आज हम बात करते हैं गाय की एक ऐसी नस्ल जो छोटे कद के होते हैं और एक से दो लीटर तक दूध देती है इस गाय को आमतौर पर फ्लाइट या घरों के अंदर पाला जा सकता है बड़े कद के गायों की जगह रखने में सुविधाजनक होने के कारण पुंंगनुर गाय को घर के अंदर पाला जा सकता है जिससे किसान को गाय पालन मे ज्यादा जगह की आवश्यकता नही पड़ती और इसे आसानी से घर के अंदर पाला जा सकता है। यह घर में लगे टाइल्स पर भी आसानी से चल सकते हैं रह सकते हैं बैठ सकते हैं यहां तक कि आमतौर पर अभी इस गाय का आंध्रप्रदेश के काकीनाडा मे वृहद पैमाने पर पालन हो रहा हैं।