दोस्तों, हमारे आपके बीच ऐसी महिलाओं के बहुत से उदाहरण हैं, पर उन पर गौर नहीं किया जाता. अगर आपने गौर किया है तो हमें जरूर बताएं. साथ ही वे महिलाएं आगे आएं जो घंटों पानी भरने और ढोने का काम करती हैं. उनका अपना अनुभव कैसा है? वे अपने जीवन के बारे में क्या सोचती हैं? क्या इस काम के कारण उनका जीवन नरक बन रहा है? क्या वे परिवार में पानी की आपूर्ति के चक्कर में अपना आत्मसम्मान खो रही हैं? क्या कभी ऐसा कोई वाक्या हुआ जहां पानी के बदले उनसे बदसलूकी की गई हो, रास्ते में किसी तरह की दुर्घटना हुई हो या फिर किसी तरह के अपशब्द अपमान सहना पडा?

दोस्तों, राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार एक महिला अभी भी 2.5 किमी तक पैदल चलकर जाती हैं ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अपने परिवार के लिए पीने का पानी लाने में औसतन दिन में 3-4 घंटे खर्च करती हैं, यानि अपने पूरे जीवन काल में 20 लाख घंटों से भी ज्यादा. क्या आपको ये बातें पता है ?और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें.

उत्तरप्रदेश राज्य के चित्रकूट जिला से कविता विश्वकर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि कुपोषण का दूसरा कारण जलवायु परिवर्तन है और सूखे और बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाएं पानी की आपूर्ति को कम या बाधित कर सकती हैं। पानी की गुणवत्ता और मात्रा दोनों के लिए खतरा है, जिस पर पूरा समुदाय निर्भर है। अत्यधिक पानी की कमी वाले क्षेत्रों में रहने वाले परिवार दुर्लभ या असुरक्षित जल स्रोतों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं जहाँ से उन्हें अपने घरों से निकाला जाता है। यह रोग और सुरक्षा जोखिमों के प्रति उनकी संवेदनशीलता को बढ़ाता है। विश्व स्तर पर, 450 मिलियन बसों सहित 14.2 लाख से अधिक लोग उच्च ऊंचाई या उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों में रहते हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के चित्रकूट जिला से कविता विश्वकर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि असुरक्षित पानी और स्वच्छता कुपोषण का कारण बन सकते हैं।या इससे बदतर बना सकते हैं। यूनिसेफ के आपातकालीन कार्य समूह के निदेशक मैनुअल फोंटेन का कहना है किकोई भी कुपोषित बच्चा कितना भी भोजन करे, अगर वह जो पानी पी रहा है वह सुरक्षित नहीं है, तो उसे असुरक्षित पानी से दस्त हो जाएगा। इसके परिणामस्वरूप बच्चों को जीवित रहने के लिए आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल सकते हैं, जो अंततः कुपोषण की ओर ले जाता है। कुपोषित बच्चे भी हैजा जैसी जल जनित बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। न्यूनतम जल स्वच्छता और सफाई की अपर्याप्त पहुंच कुपोषण के लिए कारण बनते हैं ।

दोस्तों, मोबाइलवाणी के अभियान क्योंकि जिंदगी जरूरी है में इस बार हम इसी मसले पर बात कर रहे हैं, जहां आपका अनुभव और राय दोनों बहुत जरूरी हैं. इसलिए हमें बताएं कि आपके क्षेत्र में बच्चों को साफ पानी किस तरह से उपलब्ध हो रहा है? क्या इसमें पंचायत, आंगनबाडी केन्द्र आदि मदद कर रहे हैं?आप अपने परिवार में बच्चों को साफ पानी कैसे उपलब्ध करवाते हैं? अगर गर्मियों में बच्चों को दूषित पानी के कारण पेचिस, दस्त, उल्टी और पेट संबंधी बीमारियां होती हैं, तो ऐसे में आप क्या करते हैं? क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से बच्चों का इलाज संभव है या फिर इलाज के लिए दूसरे शहर जाना पड रहा है? जो बच्चे स्कूल जा रहे हैं, क्या उन्हें वहां पीने का साफ पानी मिल रहा है? अगर नहीं तो वे कैसे पानी का इंतजाम करते हैं?

उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट जिला से अरुण यादव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वर्तमान समय में बारिश में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। आने वाले दिनों में पानी की समस्या होने की प्रबल संभावनाएं हैं।वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी है कि आने वाले दिनों में बारिश नाम मात्र की होगी। हमें अपने क्षेत्र के पर्यावरण को सुधारना होगा और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना होगा

उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट जिला से अरुण यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की, अभी बरसात का मौसम चल रहा है और अभी के समय कई तरह के जीव जंतु पानी में पाए जाते है।इसलिए हमें पानी उबाल कर पीना चाहिए, ताकि घर की महिलायें व बच्चे बूढ़े बीमार न पड़े। पानी गर्म करने से पानी में पाए जाने वाले कीटाणु मर जाते है। कभी कभी हैंड पंप से भी दूषित पानी निकलता है

पानी में आर्सेनिक, लोह तत्व और दूसरे घातक पदार्थों की मात्रा महिलाओं के स्वास्थ्य पर सबसे बुरा असर कर रही है और फिर यही असर गर्भपात, समय से पहले बच्चे का जन्म या फिर कुपोषण के रूप में सामने आ रहा है. साथियों, हमें बताएं कि आपके परिवार में अगर कोई गर्भवति महिला या नवजात शिशु या फिर छोटे बच्चे हैं तो उन्हें पीने का पानी देने से पहले किस प्रकार साफ करते हैं? अगर डॉक्टर कहते हैं कि बच्चों और महिलाओं को पीने का साफ पानी दें, तो आप उसकी व्यवस्था कैसे कर रहे हैं? क्या आंगनबाडी केन्द्र, एएनएम और आशा कार्यकर्ता आपको साफ पानी का महत्व बताती हैं? और ये भी बताएं कि आप अपने घर में किस माध्यम से पानी लाते हैं यानि बोरवेल, चापाकल या कुएं और तालाबों से?

साथियों, आपके यहां पानी के प्रदूषण की जांच कैसे होती है? यानि क्या सरकार ने इसके लिए पंचायत या प्रखंड स्तर पर कोई व्यवस्था की है? अगर आपके क्षेत्र में पानी प्रदूषित है तो प्रशासन ने स्थानीय जनता के लिए क्या किया? जैसे पाइप लाइन बिछाना, पानी साफ करने के लिए दवाओं का वितरण या फिर पानी के टैंकर की सुविधा दी गई? अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आप कैसे पीने के पानी की सफाई करते हैं? क्या पानी उबालकर पी रहे हैं या फिर उसे साफ करने का कोई और तरीका है? पानी प्रदूषित होने से आपको और परिवार को किस किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं?

साथियों, हमें बताएं कि क्या आपके क्षेत्र के सरकारी जिला अस्पतालों, उपस्वास्थ्य केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों, आंगनबाडी में पानी की कमी है? क्या वहां प्रशासन ने पानी की सप्लाई व्यवस्था दुरूस्त नहीं की है? अगर अस्पताल में पानी नहीं मिल रहा है तो मरीज कैसे इलाज करवा रहे हैं? क्या पानी की कमी के कारण बीमार होते हुए भी लोग इलाज करवाने अस्पताल नहीं जा रहे? या फिर आपको अपने साथ घर से पानी लेकर अस्पताल जाना पड़ रहा है? अपनी बात अभी रिकॉर्ड करें, फोन में नम्बर 3 दबाकर.