आजकल कम उम्र में ही लोग लम्बी और गंभीर बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं. लाइफस्टाइल और खानपान खराब होने से सेहत से जुड़ी कई तरह की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. इसकी वजह से कई गंभीर और खतरनाक स्थिति बनने लगी है. इसी से बचाव और जागरूकता के लिए हर साल 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे (World Health Day 2024) मनाया जाता है. इस वर्ल्ड हेल्थ डे का थीम 'माई हेल्थ-माई राइट' मतलब 'मेरा स्वास्थ्य-मेरा अधिकार' रखा गया है. इस बार वर्ल्ड हेल्थ डे का उद्देश्य अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं, साफ पानी-हवा, पोषण से भरपूर आहार और साफ-सफाई है. तो दोस्तों आइये हम सब संकल्प ले और स्वस्थ आदतें अपनाएं: अपने आहार पर ध्यान दें, नियमित व्यायाम करें, पर्याप्त नींद लें और तनाव मुक्त रहने का प्रयास करें,डॉक्टर से नियमित रूप से जांच कराएं, स्वस्थ आदतों के महत्व के बारे में अपने परिवार, दोस्तों और समुदाय के लोगों को जरूर बताएं.ये सरल कदम आपके स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं.मोबाइल वाणी परिवार यह मानता है कि विश्व स्वास्थ्य दिवस सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह स्वस्थ जीवन जीने के प्रति सचेत और सजग रहने का निरंतर प्रयास है. आइए मिलकर यह सुनिश्चित करें कि "स्वास्थ्य सबका अधिकार" वाकई में सच हो जाए
बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?
अगर आपको भी गुस्सा आ रहा है, तो उसे शांत करने के है कई तरीके | सुनिए इस कहानी को, और जानिये कि गुस्से को कैसे कर सकते है कम |
जन्म से आठ साल की उम्र तक का समय बच्चों के विकास के लिए बहुत खास है। माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में 'बचपन मनाओ-बढ़ते जाओ' कार्यक्रम सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नंबर 3.
भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।
बनो नई सोच ,बुनो हिंसा मुक्त रिश्ते की आज की कड़ी में हम सुनेंगे महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और हिंसा के बारे में।
आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम जानेंगे एसएचजी यानि की स्वयं सहायता समुह से जुड़ने के क्या फायदे हैं और इससे जुड़ कर कैसे आप अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं।
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।
हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।
सुनिए एक प्यारी सी कहानी। इन कहानियों की मदद से आप अपने बच्चों की बोलने, सीखने और जानने की क्षमता बढ़ा सकते है।ये कहानी आपको कैसी लगी? क्या आपके बच्चे ने ये कहानी सुनी? इस कहानी से उसने कुछ सीखा? अगर आपके पास भी है कोई मज़ेदार कहानी, तो रिकॉर्ड करें फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर।