उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव, मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 70 प्रतिशत महिलाओं की स्थिति फगुनिया और रूपवती की तरह ही है।पुरानी परंपरा और छोटी सोच अभी भी लोगों में व्याप्त है। महिलाओं को अगर जमीन का अधिकार दे भी दिया जाए तब भी महिला अपनी मालिकाना हक़ दिखाने में असक्ष्म रहती है क्योंकि वो अपने अनुसार उस जमीन पर कार्य नहीं कर पाती है। कानून के अनुसार महिलाओं के नाम जमीन रजिस्ट्री करने का प्रावधान है लेकिन पुरुष प्रधान देश इस पर यह नहीं सोचते है की इससे महिला का विकास होता है और वो सशक्त होती है । महिला के पास अधिकार रहने के बावजूद महिला अपनी आवश्यकता अनुसार उस जमीन पर बिना प्रधान पुरुष से पूछे कार्य नहीं कर सकती है। इसका कारण अशिक्षा ही है