उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि महिलाओं को सामान अधिकार देने को लेकर खुश होती है लेकिन आज भी महिलाओं का पहचान उनके नाम से है ही नहीं। इस मामले में जितना बदलाव किया जाए लेकिन बीच में अशिक्षा आ जाती है ,इसमें रूढ़वादी समाज भी आ जाता है। चाहे जितना भी पीठ थपथपा लें कि महिलाएँ तरक्की कर रही है लेकिन आज भी बड़ी आबादी में महिलाएँ पितृ सत्ता समाज के नीचे दबी रहती है।