उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि प्रदूषण तब होता है जब किसी पदार्थ या ऊर्जा के किसी भी रूप की मात्रा को पर्यावरण में इतनी तेजी से डाला जाता है की उसे फैलाया या सुरक्षित रूप से संग्रह नहीं किया जा सकता है। प्रदूषण शब्द का अर्थ कृत्रिम और प्राकृतिक दोनों तरह से हो सकता है। र्यावरण प्रदूषण का तात्पर्य मानव गतिविधियों के कारण पर्यावरण में किसी भी अवांछित सामग्री के शामिल होने से है जो पर्यावरण और पारिस्थितिकी में अवांछनीय परिवर्तन का कारण बनता है। उदाहरण के लिए, स्वच्छ जल स्रोतों जैसे टैंकों, नदियों आदि में सीवेज के जल को मुक्त करना, जल प्रदूषण का एक उदाहरण है।पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न कारकों को प्रदूषक कहा जाता है। प्रदूषक रसायन, जैविक या भौतिक कारक हो सकते हैं जो दुर्घटनावश पर्यावरण में शामिल हो जाते हैं जो लोगों और अन्य जीवित प्राणियों के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हानिकारक होते हैं।प्रदूषण पृथ्वी पर जीवन को बनाये रखने वाले मूल कारकों को प्रभावित करते है। यह हमारे जीवन के लिये आवयश्क वायु, जल तथा अन्य पारिस्थितिकी तंत्र, जिस पर हम निर्भर है, को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।प्रदूषण मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। यद्यपि यह सम्पूर्ण समाज के समग्र कल्याण को प्रभावित करते है लेकिन निर्धन, बच्चों, महिलाओं आदि जैसे कमजोर वर्गों पर इसका असमान रूप से प्रभाव अधिक होता है।