उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बालमपुर से वीर बहादुर यादव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि समाज में ना तो महिलाएं अपने पति का नाम लेते हैं और ना पति अपने महिला का नाम लेते हैं महिला को अगर पुकारते हैं तो उनके बच्चे के नाम से पुकारते हैं या उनके मायके के नाम से पुकारते हैं। ऐसी परंपराएं रही हैं जो उनकी रूढ़िवादी सोच हैं, पुरानी परंपराओं को आगे बढ़ाया गया है क्योंकि कुछ महिलाएं अपने पति का नाम लेने से बचती हैं क्योंकि ऐसी कई परंपराएं हैं जिन्हें हमारे पूर्वजों ने आगे बढ़ाया है। और जो बात आपने हमें बताई वह यह है कि महिलाओं को नाम नहीं लेना चाहिए, इसलिए यह पुरानी परंपरा है, इनमें से कुछ में निरक्षरता की भी कमी है, उनमें से कुछ को निरक्षर होते हुए भी इसकी जानकारी नहीं है, अगर वे शिक्षित हैं, तो हर जगह। मैंने देखा है कि शहरी इलाकों में जब महिलाएं किसी कारण से अपने पति के नाम पर अटक जाती हैं तो महिलाओं को अपने पति का नाम लेने में कोई झिझक नहीं होती।