बिहार राज्य के जिला नवादा से प्रियंका कुमारी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि लड़का और लड़की में भेद भाव नहीं करना चाहिए। लड़कियों के साथ सबसे अधिक भेद भाव किया जाता है।

बिहार राज्य के जिला नवादा से प्रियंका कुमारी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि महिलाओं को बराबर अधिकार मिलना चाहिए। महिलाओं को जितना अधिकार मिलाना चाहिए उतना नहीं मिलता है। महिलाओं को पुरुष के समान वेतन मिलना चाहिए।

बिहार राज्य के नवादा ज़िला के हिसुआ प्रखंड से सनोज कुमार ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि लैंगिक समानता सत विकास से जुड़ी है और मानव विकास के लिए महत्वपुर्ण है। लैंगिक समानता का उद्देश्य एक ऐसा देश बनाना है जिसमे महिला और पुरुषों को सामान अवसर प्राप्त हो सके

बिहार राज्य के जिला नवादा से पूजा कुमारी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि भविष्य में समानताओं को खत्म करने के लिए हमें किन तरीकों का उपयोग करना चाहिए ,लड़कियों को घर पर रहना चाहिए और घर के कामों और बच्चों का ध्यान रखना चाहिए, शालीन कपड़े पहनना चाहिए और देर रात तक बाहर नहीं रहना चाहिए। स्कूल या विश्वविद्यालय से जुड़े या संबंध स्थापित करें लैंगिक असमानता के मुख्य कारणों में से एक यह है कि महिलाओं को उनके अधिकारों और समानता प्राप्त करने की उनकी क्षमता के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। जागरूकता यह है कि कमी अक्सर प्रचलित सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों के कारण होती है जो यह निर्धारित करते हैं कि महिलाओं को लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिए कानूनी प्रावधानों तक पहुंचने में सक्षम होने के लिए प्रमाणित किया जाना चाहिए। लिंग के अलावा, किसी देश के बजट में महिला सशक्तिकरण और कृषि कल्याण के साथ-साथ लैंगिक समानता और सामाजिक सुरक्षा कानून के लिए आवंटन के लिंग की भी पहचान की जानी चाहिए।

बिहार राज्य के नवादा जिला के हिसुआ प्रखंड से सनोज कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक समानता संविधान द्वारा परिभाषित समाज में पुरुषों और महिलाओं के समान अधिकारों, जिम्मेदारियों और रोजगार के अवसरों को संदर्भित करती है। इसी तरह दोनों पक्षों में समान महत्व होने पर यह संतुलित होता है, किसी भी समाज और राष्ट्र में संतुलन बनाने के लिए पुरुषों और महिलाओं के बीच लैंगिक समानता स्थापित करना आवश्यक है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि आज, जीवन के आधुनिक तरीके को अपनाने के बावजूद, भारतीय समाज लैंगिक समानता के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है।

महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या और बाल विवाह जैसी हिंसा लैंगिक असमानता का एक भयानक रूप है। यह हिंसा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती है और उन्हें डर और असुरक्षा में जीने के लिए मजबूर करती है। लैंगिक असमानता गरीबी और असमानता को बढ़ावा देती है, क्योंकि महिलाएं अक्सर कम वेतन वाली नौकरियों में काम करती हैं और उन्हें भूमि और संपत्ति जैसे संसाधनों तक कम पहुंच होती है। दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं? *-----आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या तरीके अपनाएँ जा सकते हैं? *-----साथ ही, लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर सकते हैं?

दोस्तों, हमारे यह 2 तरह के देश बसते है। एक शहर , जिसे हम इंडिया कहते है और दूसरा ग्रामीण जो भारत है और इसी भारत में देश की लगभग आधी से ज्यादा आबादी रहती है। और उस आबादी में आज भी हम महिला को नाम से नहीं जानते। कोई महिला पिंटू की माँ है , कोई मनोज की पत्नी, कोई फलाने घर की बड़ी या छोटी बहु है , कोई संजय की बहन, तो कोई फलाने गाँव वाली, जहाँ उन्हें उनके मायके के गाँव के नाम से जाना जाता है। हम महिलाओ को आज भी ऐसे ही पुकारते है और अपने आप को समाज में मॉडर्न दिखने की रीती का निर्वाह कर लेते है। समाज में महिलाओं की पहचान का महत्व और उनकी स्थिति को समझने की आवश्यकता के बावजूद, यह बहुत दुःख कि बात है आधुनिक समय में भी महिलाओं की पहचान गुम हो रही है। तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----आप इस मसले को लेकर क्या सोचते है ? *-----आपके अनुसार से औरतों को आगे लाने के लिए हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है *-----साथ ही, आप औरतों को किस नाम से जानते है ?

साल 2013-2017 के बीच विश्व में लिंग चयन के कारण 142 मिलियन लड़कियां गायब हुई जिनमें से लगभग 4.6 करोड़ लड़कियां भारत में लापता हैं। भारत में पांच साल से कम उम्र की हर नौ में से एक लड़की की मृत्यु होती है जो कि सबसे ज्यादा है। इस रिपोर्ट में एक अध्ययन को आधार बनाते हुए भारत के संदर्भ में यह जानकारी दी गई कि प्रति 1000 लड़कियों पर 13.5 प्रति लड़कियों की मौत प्रसव से पहले ही हो गई। इस रिपोर्ट में प्रकाशित किए गए सभी आंकड़े तो इस बात का प्रमाण है कि नई-नई तकनीकें, तकनीकों में उन्नति और देश की प्रति व्यक्ति आय भी सामाजिक हालातों को नहीं सुधार पा रही हैं । लड़कियों के गायब होने की संख्या, जन्म से पहले उनकी मृत्यु भी कन्या भ्रूण हत्या के साफ संकेत दे रही है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? *----- शिक्षित और विकसित होने के बाद भी भ्रूण हत्या क्यों हो रही है ? *----- और इस लोकसभा चुनाव में महिलाओ से जुड़े मुद्दे , क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ??

बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?

दहेज में परिवार की बचत और आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है. वर्ष 2007 में ग्रामीण भारत में कुल दहेज वार्षिक घरेलू आय का 14 फीसदी था। दहेज की समस्या को प्रथा न समझकर, समस्या के रूप में देखा जाना जरूरी है ताकि इसे खत्म किया जा सके। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आपके क्या विचार है ? *----- आने वाली लोकसभा चुनाव में दहेज प्रथा क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?