कई लोग जल संकट के लिए पानी की घटती उपलब्धता, सूखा और पर्यावरण से जुड़े अन्य कारकों को जिम्मेवार मानते है, लेकिन एक नई रिसर्च से पता चला है कि अमीरों की जीवनशैली और आदतें शहरों में पानी की गंभीर कमी के लिए जिम्मेवार प्रमुख कारकों में से एक हैं।रिसर्च के मुताबिक आलिशान घरों में रहने वाले यह लोग अपने बगीचों, स्विमिंग पूल और कारों को धोने के लिए बड़ी मात्रा में पानी की खपत करते हैं, जिसकी कीमत शहर के कमजोर तबके को चुकानी पड़ती है। नतीजन शहर में मौजूद कमजोर और वंचित समुदायों को अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। इस रिसर्च के नतीजे दर्शाते हैं कि सामाजिक असमानताएं, पर्यावरणीय कारकों, जैसे जलवायु में आते बदलाव या बढ़ती शहरी आबादी की तुलना में शहरों में बढ़ते जल संकट के लिए कहीं ज्यादा जिम्मेवार है।हालांकि यह अध्ययन दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन शहर पर आधारित है लेकिन साथ ही अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बैंगलोर, चेन्नई, जकार्ता, सिडनी जैसे अन्य 80 शहरों में समान मुद्दों पर प्रकाश डाला है।देखा जाए तो पानी का अनुचित उपयोग और जलवायु संकट दोनों ही इस बढ़ती कमी के लिए जिम्मेवार हैं। जलवायु संकट भी आज बड़ा खतरा बनता जा रहा है जो तापमान में वृद्धि करने के साथ-साथ बारिश के पैटर्न को भी प्रभावित कर रहा है, जिससे जल संकट की समस्या और बढ़ रही है।अनुमान है कि शहरों में आने वाले वर्षों में जल संकट कहीं ज्यादा गंभीर रूप ले लेगा। आज शहरों में रहने वाले करीब 100 करोड़ लोग यानी एक तिहाई शहरी आबादी जल संकट का सामना करने को मजबूर है। वहीं आशंका है 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर 237.3 करोड़ पर पहुंच जाएगा, जो शहरी आबादी का करीब आधा हिस्सा है।रिसर्च के मुताबिक इससे सबसे ज्यादा प्रभावित भारत की शहरी आबादी होगी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई 'वर्ल्ड वाटर डेवलपमेंट रिपोर्ट 2023' के मुताबिक 2050 तक शहरों में पानी की मांग 80 फीसदी तक बढ़ जाएगी इस बारे में प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट के हवाले से पता चला है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो 2030 तक ताजे पानी की मांग, उसकी आपूर्ति से 40 फीसदी बढ़ जाएगी। नतीजन पानी को लेकर होती खींचतान कहीं ज्यादा गंभीर रूप ले लेगी।साथियों , पानी की खपत को कम करने के लिए आप अपने स्तर से क्या प्रयास कर रहे है ?अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फ़ोन में अभी दबाए नंबर 3 .
शिवाजी निवृत्ती भक्ते यांचे दु:खद निधन ---------------------------------------- शिवाजी निवृत्ती भक्ते, उम्र 24 वर्ष बनारस , (वाराणसी) निवासी याचे बेंगलोर इथे ह्रदयविकाराने दुःखद निधन झालं. शिवाजी चेन्नई इथून BE झाल्यावर, बेंगलोर येथील TCS कंपनी मध्ये जॉब करत होता.. मुलत: हा होनहार मुलगा ग्राम पंचायत देवी जिला छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश चा मुल निवासी आहे वर्तमान निवासी बनारस (वाराणसी) यांच्या दु:खद निधना वर अखिल भारतीय सुर्यवंशी लोनारे कुनबी समाज संगठना मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र शाखेने दु:ख व्यक्त केले। त्याच्या आत्म्याला ईश्वर शांती देवो..
दु:खद निधन हनुमान नगर नागपुर निवासी श्रीमती रजनी भाऊराव ढोले वयाच्या 90 व्या वर्षी अखेरचा श्वास घेतला, त्या नागपूर येथील शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व रुग्णालय इथे परिचारिका ते मेट्रन म्हणून कार्यरत होत्या, 1991 ला त्यांनी स्वेच्छा निवृत्ती घेतली होती.. अनेक दिवसांपासून त्या वयोमानाने व्याधीग्रस्त होत्या.. शासकीय सेवेत त्यांना त्यांच्या कार्याचा गौरव अनेक पुरस्कारांनी करण्यात आला . हनुमान नगर नागरिक कृती समिती, जेष्ठ नागरिक मंडळ, महिला मंडळाच्या सक्रिय कार्यकर्त्या होत्या. सत्य साईबाबा यांचा सत्संग परिवाराच्या त्या भाविक होत्या यांच्या दु:खद निधन वर विविध सामाजिक, धार्मिक संगठने ने शोक संवेदना व्यक्त केले
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विविध धार्मिक स्थलों की यात्रा पर रवाना हुए 200 श्रद्धालु
नागपुर - नागपुर से भी मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित चमत्कारीक हनुमान मंदिर में हनुमान जंयती पर भक्तों ने पहुंच कर लगाई हाजरी की पूजा अर्चना इस चमत्कारी हनुमान मंदिर में हनुमान जयंती पर लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं जिसमें अधिकतर भक्तों की संख्या महाराष्ट्र से होती है ।
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चैत्री यात्रेचा सोहळा पंढरपुरात आज
