सोशल मीडिया के साथ - साथ हम कॉलिंग और मोबाइल फोन का भी उपयोग करते हैं लेकिन जिनके पास सोशल मीडिया सिस्टम नहीं है । जिनके पास सोशल मीडिया के साधन नहीं हैं , वे अक्सर पूरे दिन असीमित फोन वार्तालाप में लगे रहते हैं , अक्सर कुछ सुनते हैं या किसी के साथ बातचीत करते हैं । इसमें एक बहुत बड़ी बीमारी भी है । ऐसा महसूस न करने के अलावा किसी भी तरह का काम न करना ठीक है । अपने सामने वाले व्यक्ति पर ध्यान न देना ठीक है । ये सब बातें । न किसी ने मोबाइल फोन के माध्यम से हमारे देश के लोगों में पैदा हो रही अस्थिरता को दूर करने का कोई प्रयास किया है और न ही सरकार ने । ऐसा उस व्यक्ति के साथ भी नहीं है जिसने सोशल मीडिया का आविष्कार किया था , जो पारंपरिक व्यवस्था धर्म को नष्ट करने और बढ़ावा देने के लिए ऐसी तकनीक को दुनिया में लाया था । सोचा कि अक्सर देश में जो हो रहा है वह दुनिया भर में देश के लोगों के साथ हो रहा है , अक्सर उन्हें यह भी पता नहीं होता कि मेरे साथ क्या हो रहा है और मैं कैसा महसूस कर रहा हूं । वे बिल्कुल नहीं जानते कि इंटरनेट एक ऐसी बेकार चीज है जिसे कभी भी इंटरनेट से इतना प्यार नहीं होता है कि यह पुष्टि नहीं की जा सकती है कि यह ज्ञान के लिए सही है या गलत ।