सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

उत्तरप्रदेश राज्य के मिर्जापुर जिला से शिला देवी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से पूजा देवी से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया कि लड़का लड़की एक समान होते हैं इसलिए उन्हें पढ़ा लिखाकर आगे बढ़ाना चाहिए उन्हें गर्भ में नहीं मारना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के मिर्जापुर जिला से शिला देवी मोबाइल वाणी के माध्यम से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत बेटियों को पढ़ाया जाता है। क्यूंकि बेटा बेटी एक समान होती है इसलिए गर्भ में बेटियों को नहीं मारना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के बरूआ ग्राम से शिला देवी मोबाइल वाणी के माध्यम से सूरज कुमार से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने बताया प्र्धानमंत्री द्वारा जो कल्याण कारी योजनायें चलायी जा रही हैं वो बहुत ही लाभकारी हैं। इससे बेटियों को पढ़ लिख कर आगे बढ़ने में सहायता मिलती हैं

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से अरविन्द श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि सरकार द्वारा हमेशा कहा जाता रहा है कि महिलाएं और पुरुष सामान्य से अधिक हैं।लेकिन महिलाओं को समान अधिकार आज भी नहीं दिया जाता है। महिलाएं लंबे समय से महिलाओं के बारे में बात कर रही हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कों और लड़कियों के बीच का अंतर अभी भी दिखाई दे रहा है। हम आशाओं को प्रशिक्षित करने भी जाते हैं और आज भी यह देखा जाता है कि अगर लड़की रात में बीमार होती है, तो भी लोग सुबह उसके आने का इंतजार करते हैं। और यदि लड़का उसी स्थान पर बीमार हो गया है, तो उसे रात में जब तक वह चाहे रहने की व्यवस्था करके अस्पताल ले जाया जाता है। बच्चे के जन्म से पहले लड़कियों को गर्भ में मार दिया जाता है, जिसे हम भ्रूण हत्या कहते हैं। चाहे सरकार इसके लिए कितने भी कानून लागू करे लेकिन अभी भी भ्रूण हत्या जोरो पर होती है।

साल 2013-2017 के बीच विश्व में लिंग चयन के कारण 142 मिलियन लड़कियां गायब हुई जिनमें से लगभग 4.6 करोड़ लड़कियां भारत में लापता हैं। भारत में पांच साल से कम उम्र की हर नौ में से एक लड़की की मृत्यु होती है जो कि सबसे ज्यादा है। इस रिपोर्ट में एक अध्ययन को आधार बनाते हुए भारत के संदर्भ में यह जानकारी दी गई कि प्रति 1000 लड़कियों पर 13.5 प्रति लड़कियों की मौत प्रसव से पहले ही हो गई। इस रिपोर्ट में प्रकाशित किए गए सभी आंकड़े तो इस बात का प्रमाण है कि नई-नई तकनीकें, तकनीकों में उन्नति और देश की प्रति व्यक्ति आय भी सामाजिक हालातों को नहीं सुधार पा रही हैं । लड़कियों के गायब होने की संख्या, जन्म से पहले उनकी मृत्यु भी कन्या भ्रूण हत्या के साफ संकेत दे रही है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? *----- शिक्षित और विकसित होने के बाद भी भ्रूण हत्या क्यों हो रही है ? *----- और इस लोकसभा चुनाव में महिलाओ से जुड़े मुद्दे , क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ??

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।