सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

सड़क पार करते समय राष्ट्रीय राजमार्ग पर बस स्टॉप के पास एक जादुई वाहन की चपेट में आने से एक व्यक्ति घायल हो गया । पुलिसकर्मियों ने एक एम्बुलेंस को बुलाया और उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया । जानकारी के अनुसार , लालता प्रसाद पैंतालीस वर्ष के थे जब उन्होंने सोमवार शाम करीब 7 बजे सड़क पार की । गंधौली कोटवाली सिधौली के एक 20 वर्षीय निवासी को एक तेज रफ्तार जादू कार ने टक्कर मार दी , जिससे लाल्टा गंभीर रूप से घायल हो गया । सूचना मिलने पर , सिधौली कोटवाली पुलिस ने लालता प्रसाद की एम्बुलेंस को बुलाया और उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिधौली भेज दिया ।

वाराणसी के आर्य महिला पीजी कॉलेज में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान 25 छात्राओं ने रक्तदान किया। महाविद्यालय की कार्यकारी प्राचार्य प्रो. बिंदु लाहिड़ी ने कहा कि रक्तदान के लिए सभी को आगे आना चाहिए। कार्यक्रम अधिकारी व संयोजक डॉ. अन्नपूर्णा दीक्षित ने कहा कि रक्तदान महादान है, हमारा एक यूनिट रक्त किसी को जीवन दे सकता है। डॉ. विनीता ने कहा कि एक स्वस्थ व्यक्ति हर तीन पर रक्तदान कर सकता है।

महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज (जयपुर) की स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं दूरबीन शल्य क्रिया विशेषज्ञ प्रो. फरेंद्र भारद्ववाज ने कहा कि बार-बार गर्भपात और गर्भाशय की टीबी से यूट्रस (बच्चेदानी) चिपक सकता है। इससे माहवारी कम अथवा समय से पहले बंद हो सकती है। इससे बांझपन हो सकता है। हालांकि इसका इलाज करके इसे सामान्य अवस्था में लाया जा सकता है।उन्होंने इंडियन एसोसिएशन ऑफ गाइनेकोलॉजिकल एंडोस्कोपिस्ट्स (आईएजीई) तथा वाराणसी आब्स एन्ड गायनी सोसायटी (वीओजीएस) की ओर से होटल ताज में आयोजित काफ्रेंस उन्होंने कहा कि यूट्रस चिकपने की अवस्था पर प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने कहा कि स्त्री रोग से जुड़ी समस्याओं में करीब पांच से दस फीसदी महिलाओं में यह समस्या देखी जा रही है। इसको शुरूआती स्टेज में पहचानकर गंभीर अवस्था में पहुंचने से रोका जा सकता है। सम्मेलन में आईएजीई के अध्यक्ष डॉ पण्डित पालस्कर ने कहा कि दूरबीन से ऑपरेशन का मतलब बिना टांका का ऑपरेशन होता है। इससे बच्चेदानी की समस्या का निदान आसानी से हो जाता है। नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ अतुल गनात्रा ने कहा कि दूरबीन से ऑपरेशन अत्याधुनिक तकनीक है। यह सुविधा देश के हर नागरिक को मिलनी चाहिए। इसके लिए डॉक्टर को बेहतर प्रशिक्षण मिलना चाहिए और आधुनिक व गुणवत्तापूर्ण उपकरण होना चाहिए।

इंडियन एसोसिएशन ऑफ गाइनेकोलॉजिकल एंडोस्कोपिस्ट्स (आईएजीई) तथा वाराणसी आब्स एन्ड गायनी सोसायटी (वीओजीएस) की ओर से तीन दिवसीय कांफ्रेंस शुरू हुआ। पहले दिन कांफ्रेंस का विषय 'स्त्री रोगों का दूरबीन से ऑपरेशन एवं उपचार' था। विशेषज्ञों ने बताया कि स्त्री रोगों में दूरबीन से ऑपरेशन होने से क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। इसमें दर्द कम होता है और जल्द रिकवरी होती है। इस मौके पर मुंबई से आए रोहन पॉलसेतकर ने कहा कि लाइफ स्टाइल में बदलाव के कारण स्पर्म की गुणवत्ता घट रही है। सम्मेलन का शुभारंभ एक स्त्री रोगी के दूरबीन से ऑपरेशन से शुरू हुआ। इसके साथ ही न्यू लाइफ हॉस्पिटल में स्त्री रोगी के ऑपरेशन का सजीव प्रसारण हुआ, जिसे आयोजन स्थल पर भी दिखाया गया। आयोजन समिति की अध्यक्ष डॉ. नीलम ओहरी ने बताया कि बांझपन, अल्ट्रासाउंड, एम्ब्रियोलोजी तथा व्यक्तिगत हस्त प्रशिक्षण पर आधारित कार्यशालाएं भी हुई। राष्ट्रीय संयोजक डॉ अतुल गनात्रा और राज्य समन्वयक डॉ. श्रीकांत ओहरी के नेतृत्व में लाइव सर्जरी हुई। वर्कशॉप में भ्रूण विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई। बांझपन के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श हुआ। डॉ. सीमा पांडेय और डॉ लतिका अग्रवाल की अध्यक्षता में विशेषज्ञों ने फर्टिलिटी साइकिल में चुनौतियों को दूर करने के लिए उपायों पर चर्चा की। अल्ट्रासाउंड कार्यशाला में स्त्री रोगों और बांझपन पर चर्चा की। कार्यशाला में डॉ. दीपक लिम्बाचिया, डॉ. कल्याण बारमेड, डॉ. कुरियन जोसेफ, डॉ. पण्डित पालस्कर, डॉ. प्रशांत मंगेसिकर आदि ने विचार रखे।

वाराणसी बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को खुशखबरी दी है। अब उन्हें भी आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ मिलेगा। बनारस में सात हजार को इसका फायदा होगा। डीपीओ दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए स्वास्थ्य बीमा कवरेज के प्रावधान किए गए हैं। कार्ड जनपद के किसी भी जनसेवा केंद्र और सम्बद्ध सरकारी अस्पतालों में बनेंगे। आयुष्मान एप और बैनिफिशियरी आइडेंटिफिकेशन सिस्टम पोर्टल के माध्यम से भी, कार्ड बनवाया जा सकता है।

वाराणसी के कबीरचौरा स्थित मंडलीय अस्पताल के जिला क्षय रोग केंद्र (डीटीसी) पर विशेष स्क्रीनिंग कैंप लगाया गया। इसमें एआई आधारित अल्ट्रा पोर्टेबल एक्स-रे मशीन से 40 की जांच की गई, जिसमें 10 पॉजिटिव मिले। इनके बलगम की जांच सीबी नाट मशीन से होगी। इसके बाद सभी को निक्षय पोर्टल 2.0 पर नोटिफाई कर उपचार शुरू होगा। निक्षय पोषण के * तहत डीबीटी से मरीज के बैंक खाते में तय राशि भेजी जाएगी। सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि मशीन ने जांच को बेहद आसान बना दिया है।

मेडिकल कॉलेज में बढ़ी बीमार बच्चों की संख्या

भूमि न मिलने से 100 बेड के अस्पताल का निर्माण अधर में