कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

हाय रे नरेगा तुम कितना करिश्मा करेगा कि उक्ति चरितार्थ होते उस समय देखने को मिला जहा एक ग्राम सभा मे चक रोड़ पर मिट्टी भराई की जगह घास छिलाई का कार्य दूसरे गांव के दहाड़ी मजदूरों एवम बगल के गांव के रोजगार सेवक द्वारा चक मार्ग पर उगी घास को छील कर कराते पाया गया । नेबुआ नौरंगिया विकास खण्ड के ग्राम सभा देवगांव में अशोक मल्ल के खेत के बगल से लगभग एक किलोमीटर लम्बे चकरोड पर मिट्टी के द्वारा चकरोड के मररमत का कार्य होते देखा गया जब कि उस चक मार्ग पर मिट्टी का कार्य बिगत वित्तीय वर्ष में भी कराया जा चुका है।मौजूदा समय मे नरेगा योजना के तहत यह कार्य दूसरे ग्राम सभा के रोजगार सेवक द्वारा बहादुर चौहान,छोटेलाल, हरिकिसुन, किशोर, ध्रुव,राजू द्वारा दहाड़ी मजदूरी पर बिना मानक के घास की छिलाई करा कर कराया जा रहा है।जब कि रोजगार गारंटी योजना के तहत इस कार्य को गांव के जॉब कार्ड धारकों के द्वारा कराया जाना चाहिये ।इस संबंध मे बीडीओ ऊषा पाल ने बताया कि किसी भी ग्राम सभा मे मिट्टी से संबंधित कार्य जॉब कार्ड धारकों द्वारा होना चाहिये अन्यथा की स्थिति में जांच करा कर उचित कार्यवाही की जाएगी

एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

एंटी करप्शन टीम ने₹5000 घूस लेते लक्ष्मणपुर ग्रांट के लेखपाल मोतीलाल यादव को रंगे हाथ गिरफ्तार किया ज्ञात हो कि सलीपुर निवासी मनोज विश्वकर्मा ने शिकायत कर आरोप लगाया था कि लक्ष्मणपुर ग्रांट में उनकी कृषि भूमि की हक बरारी मुकदमा के दौरान दोबारा पैमाइश के लिए लेखपाल ने₹5000 की मांग की थी।

खनन क्षेत्र से हो रहा है ओवरलोड मोरम का खनन

गजाधर वर्मा सरिया बड़ागांव के निवासी 1 साल से सम्मान निधि पाने कोchakar लगते परेशान रोज लगते हैं चक्कर अमेठी तहसील जिला

गन्ना घटतोली

सरकार सभी के लिए सरकारी योजना निकाल रखी है कि लोग सरकारी योजना खराब उठाएंगे और कुछ अपने काम कर लगाएंगे और कुछ सरकारी बजट से उन लोगों को कुछ फायदा हो जाएगा लेकिन बजट के लिए तो कोई पैसा कब मिल रहा है किसी को किसी को नहीं मिल रहा है यही वाराणसी जिला के पिंडरा ब्लाक है वनवासी समुदाय के लोग रहते हैं इन लोगों को अभी तक कोई सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला इनको मिला है वह भी अधूरा है