बीएचयू परिसर में पेड़ों के सूखे पत्ते अब हरियाली के वाहक बनेंगे। विश्वविद्यालय के उद्यान विभाग ने सूखे पत्तों को जलाने के बजाए उनसे जैविक खाद बनाने की पहल की है। इस खाद का इस्तेमाल बीएचयू के उद्यान और पौधों में तो होगा ही, उसे शहर की पौधशालाओं और - पर्यावरण प्रेमियों को सस्ती दर पर बेचा भी जाएगा। बीएचयू की जैविक खाद जल्द ही बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। बीएचयू में मौजूदा समय में पेड़- पौधों की 650 से ज्यादा प्रजातियां हैं। पहले उन पेड़-पौधों के सूखे पत्तों को बटोर कर जलाया या गड्ढे में दबा दिया जाता था। बीएचयू के उद्यान प्रभारी प्रो. सरफराज आलम ने बताया कि भारी मात्रा में निकलने वाले इन पत्तों से जैविक और वर्मी कंपोस्ट तैयार कराई जा रही है। उच्च क्वालिटी की इस जैविक खाद का इस्तेमाल बीएचयू के विभिन्न उद्यानों, पार्क और नए लगे पौधों में किया जाएगा। कंपोस्ट और वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित उद्यान, स्विमिंग पूल के पीछे नेहरू पार्क, छित्तूपुर रोड के बगल में खाली स्थान के अलावा कई जगहों पर गड्ढे बनाए गए हैं। एक मीटर गहराई वाले इन गड्डों में पत्ते डालकर उन्हें जैविक प्रक्रिया से कंपोस्ट में बदला जा रहा है। खाद तैयार होने में डेढ़ से दो महीने का समय लगता है। इसी तरह वर्मी कंपोस्ट भी अलग तैयार हो रहा है।