सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

केंद्रीय विद्यालय का आयोजन

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नगर में किया स्वागत

एसडीएम को सौंपा

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मानव समाज धीरे धीरे बाजारों के फल फ्रूट और बड़ी बड़ी होटलों में खाना खाने की आदत डालते हुए प्रकृति से मिलने वाले अनमोल कंदमूल, फल फूल से दूरी बनाकर प्राकृतिक जीवन‌शैली को लुप्त करने की विनाशकारी मार्ग को अपनाकर बहुत बड़ी भूल कर रहे हैं। हम लोग‌ शहरों में बाजार से बेशकीमती फल फुल और स्वादिष्ट व्यंजन खरीद सकते हैं, लेकिन जो हमारे ग्रामीण आदिवासी अंचलों और पहाड़ी क्षेत्रों में प्रकृति से मिलने वाले अनमोल और स्वादिष्ट ऐसे फलों तेंदू टेमरा, भिमला, चार चिरौंजी महुआ आदी फल फुल जो हम लोगों को प्रकृति से सीधें प्राप्त होते हैं का सेवन करके जो आनंद मिलता है ओ लाखों करोड़ों रुपए खर्च करके भी बाजारों के फलों और‌् व्यजनों में जमीन आसमान का फर्क होता है। महुआ से दारु ही नही बहुत कुछ बनता है । महुआ के फल की सब्जी,फुल का जूस,सुखा कर , उबालकर खाया जाता है , लड्डू, ढोकला, बनाया जाता है फुल से अर्क और फल तेल भी निकाला जाता है । इसी तरह तेंदू को देशी चिकु के नाम से प्रसिद्ध प्राप्त है । वही भिमला का भी स्वाद लाजवाब है । तो चार चिरौंजी की अपनी एक अलग पहचान है देश विदेश मे भी चिरौंजी अपने विशेष गुणों के कारण पहचाना जाता है । किंतु मानव समाज का इस और कम ही ध्यान है । आज यह प्रकृति की अनमोल वनोपज लुफ्त होने की कगार पर है ।

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