भगवे वस्त्रधारी बाबा मेरे दरवाजे पर आया और कहा बच्चा आपका हाथ दिखाए। मुझे हाथ दिखाने में कोई इच्छा नहीं थी मैने उसे चले जाने को। वह खड़ा ही था कि इतने में एक और सज्जन सफेद वस्त्र धारी जो साधु से लगते थे आकर खडा हो गए तथा भगवे वस्त्र वाले से पूछा क्या तुम अंतर ज्ञानी हो और उसने जेब में से हाथ निकाल कर बंद मुट्ठी दिखाई और पूछा बताओ इसमें क्या है भगवे कपड़े वाले ने कुछ गणना करके कहा इस हाथ में भांग है। उस सज्जन ने हाथ खोलकर दिखाया तो उसमें भभूती थी। तब उस सफेद वस्त्रधरी ने मुझे और भगवाधारी बाबा से कहा तुम दोनों अपने मन की कुछ बातें सोच लो और एक दूसरे से कह दो यह कहकर वह कुछ दूर पर जाकर खड़े हो गया। मैं इन सब चीजों में विश्वास नहीं करता था परंतु इस तमाशे में कुछ मजा आने लगा मैंने भगवे वस्त्र वाले से कहा कि मुझे अपनी पत्नी के स्वास्थ्य की चिंता है तथा भगवे वस्त्रधारी ने मुझ से कहा कि मुझे अपनी लड़की की शादी की चिंता है ।