भारत में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या एक बार फिर तेजी से बढ़ रही है। आज यानी 17 अप्रैल 2023 को सक्रिय मामलों की संख्या 60,313 के आसपास बनी हुई है। 16 अप्रैल 2023 की सुबह आठ बजे केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में सक्रिय मामलों की संख्या 57,542 थी, जबकि 15 अप्रैल को इनकी संख्या 53,720 दर्ज की गई थी। केरल अभी भी सक्रिय मामलों के मामले में सबसे ऊपर है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 9,111 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 6,313 लोग कोविड-19 से उबरे हैं, जबकि 24 लोगों की मौत इस महामारी से हुई है। दैनिक पॉजीटिविटी रेट 5.61 प्रतिशत और साप्ताहिक पॉजीटिविटी रेट 4.78 प्रतिशत बताई गई है। देश में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या बढ़कर 531,141 हो गई है। महामारी के तीन वर्ष बीत चुके हैं। हालांकि इसके बाद भी महामारी का खतरा अब तक टला नहीं है। न केवल भारत बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अभी भी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। जो दर्शाता है कि अभी भी इस तरह की आपदाओं के लिए मानव जाति तैयार नहीं है। ऐसे में प्रकृति के साथ होता खिलवाड़ कितना सही है यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है। साथियों आप हमें बताएं कि आपके क्षेत्र में कोरोना संक्रमण की क्या स्थिति है ? और आप संक्रमण से बचाव के लिए किस तरह के उपाय अपना रहे हैं ? अपनी बात हम तक पहुँचाने के लिए फ़ोन में अभी दबाएं नंबर 3।

उद्यमी भारत' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के एमएसएमई क्षेत्र के लिए कई योजनाओं की नई विशेषताओं का शुभारंभ किया। पीएम ने इस कार्यक्रम में एमएसएमई क्षेत्र के उत्कृष्ट लोगों को पुरस्कृत भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत का एक्सपोर्ट लगातार बढ़े, भारत के प्राडक्ट्स नए बाजारों में पहुंचें इसके लिए देश के MSME सेक्टर का सशक्त होना बहुत जरूरी है। पीएम ने कहा कि हमारी सरकार इस क्षेत्र के सामर्थ्य, इस सेक्टर की असीम संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है और नई नीतियां बना रही है। उन्होंने कहा कि अब रेहड़ी-पटरी वालों को भी बिना गारंटी के लोन मिल रहा है।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मीडिया घरानों से देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक अशांति की घटनाओं की रिपेार्टिंग करते समय अत्यधिक संयम बरतने तथा ध्रुवीकरण के बड़े खेल में मोहरा नहीं बनने की अपील की. गिल्ड ने यहां जारी एक बयान में कहा कि वह इस बात पर गौर करके निराश है कि समुदायों के बीच संघर्ष की खबरों के मूल्यांकन एवं प्रस्तुति में उचित सावधानी का अभाव पाया गया है.

साथियों, हमें बताएं कि क्या आपके क्षेत्र के सरकारी जिला अस्पतालों, उपस्वास्थ्य केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों, आंगनबाडी में पानी की कमी है? क्या वहां प्रशासन ने पानी की सप्लाई व्यवस्था दुरूस्त नहीं की है? अगर अस्पताल में पानी नहीं मिल रहा है तो मरीज कैसे इलाज करवा रहे हैं? क्या पानी की कमी के कारण बीमार होते हुए भी लोग इलाज करवाने अस्पताल नहीं जा रहे? या फिर आपको अपने साथ घर से पानी लेकर अस्पताल जाना पड़ रहा है? अपनी बात अभी रिकॉर्ड करें, फोन में नम्बर 3 दबाकर.

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साथियों, क्या आपने इस कोरोना काल के दौरान आपने शिक्षकों को तलाशने की कोशिश की? क्या आपने उनसे उनका हाल जाना? क्या आपके आसपास ऐसे लोग हैं जो पहले शिक्षक थे लेकिन कोविड काल में नौकरी जाने के बाद अब कोई दूसरा काम कर रहे हैं? क्या आपको नहीं लगता कि सरकार को शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने पर ध्यान देने की जरूरत है? स्कूल बंद होने और शिक्षकों के ना रहने से आपके बच्चों की पढ़ाई पर कितना असर पड़ा है? अगर आप शिक्षक हैं, तो हमें बताएं कि कोविड काल के दौरान आपको किस तरह की परेशानियां आईं और क्या अब आपके हालात पहले जैसे हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

शहरों में ऑफिस दोबारा खोले जा रहे हैं लेकिन फिर भी यहां से जो छोटे—मोटे ठेले, पान की दुकानें गायब हुईं हैं वो अब भी खाली हैं. ट्रेनों में यात्रियों की भीड है पर इस भीड़ में चने—मूंगफली बेचने वाले नही हैं. क्या सोचा है आपने कि वे सब कहां गए? वे लोग जो गांव से निकलकर शहर आए थे और छोटा—मोटा रोजगार कर अपना और परिवार का पेट पाल रहे थे आखिर वे गए कहां? क्यों लॉकडाउन खुलने के बाद भी वे वापिस नहीं आए? आखिर क्या हुआ उनका? सरकार ने कोरोना राहत पैकेज के तहत स्वरोजगार करने वालों को बिना ब्याज के लोन सुविधा देने का एलान किया लेकिन फिर भी बहुत से लोग खुद को वापिस खड़ा नहीं कर पाए हैं? क्या ऐसा इसलिए है कि लोन लेने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि उन पर पहले से ही कर्ज बहुत ज्यादा है? क्या अब शहरों में इन छोटे रोजगार करने वालों की जरूर खत्म हो गई है? क्या शहरों की होटलों, ढाबों या दूसरे छोटे संस्थानों में मजदूरों की मांग कम हो गई है? अगर ऐसा है तो यहां काम करने वाले पुराने मजदूर अब कहां हैं? वे कैसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं? अगर आप ऐसे किन्ही मजदूरों के बारे में जानते हैं तो हमें उनकी स्थिति के बारे में जरूर बताएं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3

सा​थियों, परेशानी ये है कि कंपनियां मजदूरों को हवाई जहाज कि टिकिट देकर काम पर तो बुला चुकी हैं पर उनके टीकाकरण की व्यवस्था नहीं कर रहीं हैं. ऐसे में जो लोग अपने गांव से महानगर पहुंच चुके हैं वे बिना टीके के ही रोजगार तलाश रहे हैं और उन्हें काम नहीं मिल रहा है. कम वेतन दिया जाना, स्टॉफ की कटौती करना और नए रोजगार के अवसरों को अस्थाई रूप से बंद कर देने जैसी चुनौतियां अलग हैं. दोस्तों, हमें बताएं कि अगर आपको पहले की तरह काम नहीं मिल पा रहा है तो इसकी क्या वजह है? क्या कंपनी और कारखानों के संचालक ज्यादा नियुक्तियां नहीं करना चाहते? क्या वे पहले की अपेक्षा कम वेतन दे रहे हैं और क्या आपको कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है? क्या काम मांगने के लिए लिखित आवेदन देने के 15 दिन बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ? क्या मनरेगा अधिकारी बारिश या कोविड का बहाना करके काम देने या किए गए काम का भुगतान करने में आनाकानी कर रहे हैं? दोस्तों, अपनी बात हम तक पहुंचाएं ताकि हम उसे उन लोगों तक पहुंचा सकें जो आपकी समस्या का समाधान कर सकते हैं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

भारतीय जनता पार्टी ने 22 अगस्त को एक इन्फ़ोग्राफ़िक ट्वीट किया जिसमें 2020 के लिए 9 देशों की जीडीपी वृद्धि का अनुमान सूचित है– भारत, चीन, अमरीका, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्पेन, जापान, ब्रिटेन और कनाडा. इस आंकड़े का स्रोत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष बताया गया है। इस खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

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