अधिकांश व्यक्तिगत पट्टे पुरुषों के नाम पर होते हैं. सामुदायिक अधिकारों में भी महिलाओं को भी कम प्रतिनिधित्व दिया जाता है. इसके चलते महिलाएं केवल खेत मजदूर बनकर रह जाती हैं. महिलाओं को इसका नुकसान यह होता है कि बैंक, बीमा तथा दूसरी सरकारी सहायता का लाभ नहीं उठा पाती है, जो उनके लिए चलाई जा रही हैं.