बिहार राज्य के जिला नालंदा से गजेंद्र कुमार सिंह ,मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि बनारस के गाँवों या उनके देश के किसी भी जिले में महिलाओं की स्थिति वही है जो उनका नाम जमीन पर आता है लेकिन बहुत बाद में आता है, अगर महिला का पति नहीं है, तो उस मामले में बच्चों और महिलाओं का नाम अपने आप जमीन पर चढ़ जाता है, लेकिन जब एक लड़की की शादी की जाती है। फिर वह अपनी मइके और अपने ससुराल दोनों के बीच रहती है, एसे में मायके में उनका अधिकार अधिक है या ससुराल में अधिकार अधिक है इन्ही सब मुद्दे को लेकर तमाम लोग बातें करते हैं और इस मुद्दे के कारण,ससुराल और मायके के बीच झूलती यह लड़की या महिला का अधिकार समय से पहले नहीं मिल पाता। कारण है भूमि पर महिला का नाम कैसे किया जाए। उसके लिए कानूनी बाध्यता है जैसे कि शादी के तुरंत बाद ससुराल में बहू का नाम जमीन पर नहीं की जा सकती क्योंकि अभी बहुत कुछ परिवार का मुखिया ही देखता है। एसे में उस स्तिथि में मायके में लड़की का नाम जमीन पर नहीं की जा सकती क्योंकि लड़की का पूरी तरह से ससुराल में उसका हक़ होता है लेकिन वह हक़ एक समय के बाद कानूनी रूप से भी सामाजिक रूप से क्रियान्वन हो पाता है। इस विषय पर कानूनी और सामाजिक रूप से अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है।