अति वरिष्ठ एंव दिव्यांगजनो हेतु होम वोंटिग की व्यवस्था

भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने

अगर महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, तो न तो हमारी संस्कृति सुरक्षित है, न ही हमारा भविष्य सुरक्षित है, न ही हमारा देश सुरक्षित है। इसलिए, इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को हर तरह से असंभव को संभव बनाना चाहिए। महिलाओं की अच्छी सुरक्षा अनिवार्य है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस और महिलाओं को तैनात करने से महिला सुरक्षित नहीं रहती। शोषण घर में रहने वाली गृहिणी के लिए कदम का द्वार है और बहनोई उस पर शारीरिक हमला करता है, इसलिए ऐसी कोई जगह नहीं है क्योंकि यह समय की आवश्यकता है कि महिलाओं को लोहे की तरह मजबूत बनाया जाए ताकि लोग चिंता न करें और महिलाओं को मानसिक आघात न दें।

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"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीवदास साहू जामुन के पेड़ में लगने वाले कीड़ों का नियंत्रण के बारे में जानकारी दे रहे हैं। इसकी पूरी जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.

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सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...