हम सभी जानते है कि एक महिला के ऊपर काम का दोहरा बोझ होता है और आज की कड़ी इसी विषय पर आधारित है।जिस प्रकार महिलाएं बहार के कामों में हिस्सा लेने लगी हैं,वैसे ही पुरुषों को भी घर के कामों में मदद करनी चाहिए और उसे अपनी ज़िम्मेदारी समझना शुरू करना चाहिए। शालिनी की कहानी सुनने के लिए क्लिक करें ऑडियो पर....

आज इस कड़ी में हम बात करेंगे कपडे उद्योग में महिलाओं की भागीदारी के बारे में। आपको पता है?दिल्ली में घरेलू महिला कामगारों की संख्या दिन व दिन बढ़ रही है ।इसमें 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं भी शामिल है। अधिकांश लड़कियों ने या तो स्कूल में प्रवेश ही नहीं लिया या फिर किसी न किसी कारणवश उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ गया। साझा मंच की टीम जब दिल्ली एनसीआर में गारमेंट इंडस्ट्री में कार्यरत महिलाओं से मिली तो अधिकांश महिला या तो अनपढ़ मिली या फिर वे प्राथमिक स्तर की शिक्षा ग्रहण कर रखी थी। युवा लड़कियाँ न तो आगे पढ़ सकती है न ही घर से बाहर कोई काम कर सकती हैं।

वो झिझकती हुई कुछ बोली, जैसा उसने अपने दिल की बात कोई खोली फिर थोड़ा रुकी, मानो एक पल के लिए डर गई, लेकिन झट से हिम्मत दिखाई, बुलंद आवाज़ में बोली और अब शोषण नहीं सहूंगी, नहीं डरूंगी, ’अब मैं बोलूंगी’। गुरूग्राम लेबर दफ्तर में यौन शोषण कि शिकायत करने पर कंपनी से निकाल दिए जाने का ये मामला, उन हज़ारों-करोड़ों मामलों में से एक है जिसका सामना महिलाएं आए दिन करती हैं। हमने ऐसी ही महिलाओं की आवाज़ को साझा मंच पर लाने का सोचा हैं कार्यक्रम ‘अब मैं बोलूंगी’। आपको क्या लगता है कि किस तरह से महिलाओं के साथ कार्यस्थल पर हो रहे शोषण को रोका जा सकता है। महिलाएं अपनी बात रखने के लिए आगे आएं, इसके लिए क्या किया जाना चाहिए। साझा मंच सुनने वाले सभी महिला पुरुष श्रोताओं से आग्रह है कि आपके घर परिवार में जो महिलाएं हैं, उन्हें भी कार्यक्रम सुनाएं। अगले हफ्ते फिर हाज़िर होंगे, अगर आप भी अपनी कहानी या कोई संदेश ‘अब मैं बोलूंगी’ कार्यक्रम में शामिल करवाना चाहते हैं तो नंबर 3 दबाकर रिकॉर्ड करवाएं अपना संदेश।

मैं मीणा देवी हूँ,आपलोग मुझे भूल तो नहीं गए,(मुस्कुराते हुए) आशा करती हूँ आप सब ठीक है। अरे,परसो क्या हुआ मैं अचानक वंदना और प्रीति से मिली,उन्होंने अपनी खुद ही दूकान खोली है कपड़े और बैग की। दोनों एक ही जगह रहती भी है। इन दोनों का ही कहना था कि बाहर काम करना इन्हे पसंद नहीं है। बाहर मतलब किसी कंपनी वगैरह में। हम्म्म, क्यूंकि वहां महिलाओं के साथ गलत व्यवहार किया जाता है,जैसे महिलाओं को कम वेतन दिया जाता है, ओवरटाइम के पैसे पैसा नहीं देते है,अरे कभी-कभी तो उनके साथ (थोड़ा हिचकिचाते हुए ) क्या बताऊ छोड़िये हहह डर सा लगता है एकदम...। लेकिन इन्हे खाली बैठना भी पसंद नहीं है। ये चाहते है अगर घर पर ही सिलाई कढ़ाई वगैरह का काम मिल जाये तो बहुत बढ़िया होगा। क्योंकि पति के पैसे से सिर्फ गुजारा ही चल पाता है। लेकिन मैं क्या करती मेरे पास तो इतने भी पैसे नहीं है कि मैं एक दूकान खोल पाऊं,और ना ही मेरे पति मेरे साथ देते है। इसलिए मुझे रोज़ यहाँ वहां भटकना पड़ता है। देखो ना कल मैं ठेके पर काम करने चली गयी,लेकिन मजदूरी कम मिली। (उदास होते हुए ) इससे पूरी तरह से छुटकारा कैसे मिलेगी? दोस्तों अगर आपके पास इसका कोई हल या सुझाव है तो मुझे ज़रूर बताएं और हाँ एक बात और आपके घर में भी अगर बीवी,बहन,माँ,चाची के साथ भी इस तरह की कोई समस्या है तो उसे भी हमारे साथ साझा करें नंबर तीन दबाकर !.आप हमारे साथ महिलाओं की सफलता की कहानी भी साझा कर सकते है जिसे हम सुनाएंगे आपके पसंदीदा कार्यक्रम "अब मैं बोलूंगी" कार्यक्रम में।

अब मैं बोलूंगी कार्यक्रम के तहत हमारी एक श्रोता मीणा देवी से जब बात की गई तो उन्होंने गांव को छोड़ शहर आने की वजह के बारे में बताया कि क्यों उन्हें अपने गाँव से शहर की ओर रुख करना पड़ा। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें मीणा जी की पूरी बातों को।

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बिना गपशप के ऑफिस या घर ,आइसिंग के बिना केक की तरह है। चाय ब्रेक, लंचटाइम, टॉयलेट - इन सभी जगहों में गपशप यानि अड्डा होता है। जी हाँ श्रोताओं,आपने सही समझा अब मैं बोलूंगी की आज की कड़ी में मैं श्वेता हाज़िर हूँ एक नए विषय के साथ..हम जहाँ काम करते है, हमारे कई साथी-दोस्त बन जाते और जैसे ही हमें थोड़ा समय मिलता है हम आपस में चर्चा करना शुरू कर देते हैं पर कुछ लोग ऐसे होते ही हैं जिन्हे यह सब आँखों में खटकने लगता हैं। ..इसी विषय को हम आगे ले चलते है,जानते है सुशीला और सीमा अपने कार्यस्थल पर क्या- क्या चर्चाएं करती है। देखा आपने घर हो चाहे कंपनी महिलाएं आपस में चर्चा करना नहीं भूलती है इससे न सिर्फ एक दूसरे के बारे में जानकारी मिलती है बल्कि महिलाओं में एकजुटता भी बढ़ता है। जिसे कोई भी कंपनी रोक नहीं सकती। और अगर आपको चर्चाएं करने से कंपनी रोक रही है तो आप इसे नज़रअंदाज़ न करें। जब भी मौका मिले चर्चा ज़रूर करें। चर्चाओं से जज्बा बढ़ता है। ....तो साथियों हम आपसे जानना चाहते है कि जब कंपनी प्रबंधक आपको आपस में चर्चाएं करने से रोकती है तो आप क्या करते है? साथ ही ऐसी कोई घटना बताएं जिसमे आपने बिना डरे काम बंद कर दिया।

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नमस्कार आदाब श्रोताओं, स्वागत है आपका कार्यक्रम अब मैं बोलूंगी में, श्रोताओ, याद है न आपको मंजु बार बार नौकरी बदलने पर किस तरह परेशान रहती है। कभी कामकाज के दौरान शोषण तो कभी घर की उलझनों को लेकर महिलाएं दोहरी परेशानी झेलती हैं। इसी बीच मंजू और उसके साथ काम करने वाली महिला साथी आज शीला के घर मिलने वाली हैं ताकि कंपनी मैनेजर के शोषण को रोकने का हल निकाला जा सके। शीला - जी आज ना आप जल्दी आ जाइएगा, वो पति - हाँ-हाँ मुझे याद है,आज शाम सभी लोग आ रहे है ना? मैं भी आ जाऊंगा। शीला - आइए-आइए यहाँ बैठिए ....आप लीजिये कुर्सी ...हाँ ठीक है। मंजु - इस कंपनी का मैनेजर तो हद से ज़्यादा बद्तमीज़ है, ये तो कह देते हैं कि कंपनी ही छोड़ दो। शीला के पति - हाँ- हां, आज हम सब इसी पर बात करेंगे। दीप्ती - आप सभी को एक चीज़ पता होनी चाहिए, जिस महिला के साथ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न हुआ है,या हो रहा है , वह इसकी शिकायत कर सकती हैl जिस कंपनी में 10 से अधिक लोग काम कर रहे है वहां आंतरिक शिकायत समिति गठित करनी ज़रूरी होती है। वहां पर हम इसकी शिकायत कर सकते हैं। मंजु - क्या शिकायत करने की कोई समय सीमा निर्धारित है ? दीप्ती - शिकायत करते समय घटना को घटे तीन महीने से ज्यादा समय नहीं बीता हो, और यदि एक से अधिक घटनाएं हुई है तो आखरी घटना की तारीख से तीन महीने तक का समय पीड़ित के पास है। और हाँ, यदि आंतरिक शिकायत समिति को यह लगता है की इससे पहले पीड़ित शिकायत करने में असमर्थ थी तो यह सीमा बढ़ाई भी जा सकती है, पर इसकी अवधि और तीन महीनों से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती l ये सब बातें मुझे पिछली कंपनी में काम करने के दौरान जानने को मिली थीं। शीला - दीदी क्या पीड़ित की ओर से कोई और शिकायत कर सकता है ? दीप्ती - बिलकुल, उसके रिश्तेदार या मित्र, उसके सह-कार्यकर्ता, ऐसा कोई भी व्यक्ति जो घटना के बारे में जानता है और जिसने पीड़ित की सहमति ली है, शिकायत कर सकता है l मंजू - शिकायत करने के बाद क्या होता है? दीप्ती - मंजू, यदि महिला चाहती है तो मामला को समाधान की प्रक्रिया से भी सुलझाया जा सकता है। यदि महिला समाधान नहीं चाहती है तो जांच की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसे आंतरिक शिकायत समिति को 90 दिन में पूरा करना होगा। यह जांच कंपनी द्वारा तय की गई प्रकिया पर की जा सकती है, यदि कंपनी की कोई तय प्रकिया नहीं है तो सामान्य कानून लागू होगा। समिति पीड़ित, आरोपी और गवाहों से पूछ ताछ कर सकती है और मुद्दे से जुड़े दस्तावेज़ भी मांग सकती है। मंजु - अच्छा..अरे वाह ये तो बहुत बढ़िया है लेकिन शिकायत कैसे की जानी चाहिए ? दीप्ती - हाँ सही सवाल किया। शिकायत लिखित रूप में की जानी चाहिए। यदि किसी कारणवश पीड़ित लिखित रूप में शिकायत नहीं कर पाती है तो समिति के सदस्यों की ज़िम्मेदारी है कि वे लिखित शिकायत देने में पीड़ित की मदद करेंl उदाहरण के लिए ,अगर वह महिला पढ़ी लिखी नहीं है और उसके पास लिखित में शिकायत लिखवाने का कोई ज़रिया नहीं है तो वह समिति को इसकी जानकारी दे सकती है, और समिति की ज़िम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे की पीड़ित की शिकायत सही से दर्ज़ की जाए l सभी एक साथ - अरे बहुत बहुत धन्यवाद, तो श्रोताओं, आपके लिये यह जानना बेहद जरूरी है कि कार्यस्थल पर यौन शोषण रोकथाम कानून क्या कहता है और इसके तहत कैसे कार्यवाही होती है और दंड के क्या प्रावधान हैं। महिलाओं को कामकाज के स्थान पर बेहतर माहौल मिले और उनकी सुरक्षा के लिए ये कानून बनाया गया है। इस के तहत और जानकारियां भी आपको सुनाएंगे आने वाली कड़ियों में।

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