मैं मीणा देवी हूँ,आपलोग मुझे भूल तो नहीं गए,(मुस्कुराते हुए) आशा करती हूँ आप सब ठीक है। अरे,परसो क्या हुआ मैं अचानक वंदना और प्रीति से मिली,उन्होंने अपनी खुद ही दूकान खोली है कपड़े और बैग की। दोनों एक ही जगह रहती भी है। इन दोनों का ही कहना था कि बाहर काम करना इन्हे पसंद नहीं है। बाहर मतलब किसी कंपनी वगैरह में। हम्म्म, क्यूंकि वहां महिलाओं के साथ गलत व्यवहार किया जाता है,जैसे महिलाओं को कम वेतन दिया जाता है, ओवरटाइम के पैसे पैसा नहीं देते है,अरे कभी-कभी तो उनके साथ (थोड़ा हिचकिचाते हुए ) क्या बताऊ छोड़िये हहह डर सा लगता है एकदम...। लेकिन इन्हे खाली बैठना भी पसंद नहीं है। ये चाहते है अगर घर पर ही सिलाई कढ़ाई वगैरह का काम मिल जाये तो बहुत बढ़िया होगा। क्योंकि पति के पैसे से सिर्फ गुजारा ही चल पाता है। लेकिन मैं क्या करती मेरे पास तो इतने भी पैसे नहीं है कि मैं एक दूकान खोल पाऊं,और ना ही मेरे पति मेरे साथ देते है। इसलिए मुझे रोज़ यहाँ वहां भटकना पड़ता है। देखो ना कल मैं ठेके पर काम करने चली गयी,लेकिन मजदूरी कम मिली। (उदास होते हुए ) इससे पूरी तरह से छुटकारा कैसे मिलेगी? दोस्तों अगर आपके पास इसका कोई हल या सुझाव है तो मुझे ज़रूर बताएं और हाँ एक बात और आपके घर में भी अगर बीवी,बहन,माँ,चाची के साथ भी इस तरह की कोई समस्या है तो उसे भी हमारे साथ साझा करें नंबर तीन दबाकर !.आप हमारे साथ महिलाओं की सफलता की कहानी भी साझा कर सकते है जिसे हम सुनाएंगे आपके पसंदीदा कार्यक्रम "अब मैं बोलूंगी" कार्यक्रम में।