दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार प्रारंभ दिनांक 09.06.2020 दिन मंगलवार को पूरनमल बाजोरिया शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय नरगाकोठी के प्रांगण विद्यालय से अध्यक्ष डॉ चन्द्र भूषण सिंह, सदस्य डॉ मधुसूदन झा, मारवाड़ी महाविद्यालय के प्रो रामसेवक सिंह एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अजीत कुमार पाण्डेय द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया । ति मा भागलपुर विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुलपति डॉ रमाशंकर दुबे ने कहा कि प्रचीन शिक्षा गुरूकुल पद्धति की थी जिसमें शिष्य शिक्षा ग्रहण करने जाते थे तो उसका खर्च समाज वहन करता था ।शिष्य भिक्षा मांगकर लाते थे और उससे गुरूकुल का खर्च चलता था ।गुरु शिष्य का उस समय मजबूत संबंध होता था ।शिष्यों के सर्वांगीण विकास हेतु शरीर, मन,बुद्धि, आत्मा के साथ साथ शस्त्र एवं शास्त्रों की शिक्षा देकर शिष्यों का विकास किया जाता था ।गुरु शिष्य के अन्दर की प्रतिभा को देखकर उसे तरासते थे ये शिक्षा की परंपरा थी ।सांसारिक ज्ञान को आध्यात्मिक ज्ञान से जोडना आवश्यक है ।आज गुरु शिष्य मिलकर ऐसी समाज की स्थापना करे जो समाज के साथ साथ देश को भी आगे बढाएगा ।हमारी भावनाएँ भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत होनी चाहिए ।अपना अलग-अलग डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाकर प्रतियोगिता के तरह से आगे बढ़ना है ।आज ज्ञान आधारित समाज की ओर बढ़ रहे हैं ।हमें भारतीय शिक्षा को भारतीय दृष्टिकोण से करानी है ।पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था में आज संस्कार, आध्यात्म भरते हुए शिक्षा देना है । आज के वेबिनार का विषय वस्तु प्रवेश करते हुए विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय सचिव दिलीप कुमार झा ने कहा कि भारतीय शिक्षा के स्वरूप गुरूकुल से वर्तमान समय में काफी परिवर्तन आया है ।भविष्य की संभावनाओं पर विचार करने की बात कही ।शैक्षणिक विकास के साथ साथ आध्यात्मिक विकास की बात कही ।देश भर में विद्या भारती शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा के साथ साथ जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा देने का कार्य कर रही है ।शिक्षा सिर्फ़ रोटी देने वाली न हो यह मानव को मानव से जोडने वाली होनी चाहिए । गया केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रो सनत कुमार शर्मा ने कहा कि शिक्षा में गुरु और शिष्य का सामंजस्य होना चाहिए ।इसलिए शिक्षक को छात्र की भाषा को जानना जरूरी है तथा उसे तकनीकी बनाना जरूरी है ।शिक्षक के भाव भंगिमा से विषय वस्तु प्रस्तुत हो जाय ऐसा बनाना चाहिए ।ऑनलाइन कक्षा में मूल्यांकन कार्य के लिए वस्तु परक प्रश्न बनाकर पूछना चाहिए । बीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो डॉ नन्द किशोर साहाजी ने कहा कि शिक्षकों में संबोधन, तादात्म्य, आशावादी, उत्साह, रहन सहन, बात चीत शैली, संयम, निष्पक्ष, शुभचिंतन, सहानुभूति, जीवन शक्ति, गुणवत्ता पूर्ण गुण होनी चाहिए तभी आदर्श शिक्षक कहलाएंगे ।हमें सभी वर्गों के छात्रों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए ।छात्रों को देश का आदर्श नागरिक बनाने का प्रयास करना चाहिए ।आदर्श शिक्षक वो है जो विद्वता के साथ साथ स्वस्थ रहे। भरती शिक्षा समिति के प्रदेश सचिव गोपेश कुमार घोष ने कहा कि छात्रों के उत्तरोत्तर विकास हेतु जो संभव हो सके कार्य करना चाहिए इसके लिए न कठोर बनना है और न मुलायम रहना है ।बच्चों में कार्य वृत्ति के प्राण का संचार करना चाहिए । भारती शिक्षा समिति बिहार के प्रदेश सह सचिव प्रकाश चन्द्र जायसवाल ने कहा कि भारतीय परिदृश्य में शिक्षकों की भूमिका अहम है ।प्राचीन संस्कृति को शिक्षा व्यवस्था में जोडनी चाहिए । विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय मंत्री अवनीश भटनागर ने कहा कि भारतीय शिक्षा दर्शन के परिपेक्ष्य में चुनौती पर प्रकाश डाला है ।उनके अनुसार विद्यालय विकल्प के रूप में ऑनलाइन कक्षा की व्यवस्था की गई है ।उनका मानना है कि जीवन दृष्टि से शिक्षा के उद्देश्य को अलग करने से उसका महत्व समाप्त हो जाता है । ऑनलाइनबैठक में अतिथि परिचय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अजीत कुमार पाण्डेय द्वारा किया गया ।संचालन सरिता कुमारी द्वारा एवं फुलवडिया बी एड काॅलेज के संदीप कुमार सिंह द्वारा किया गया ।धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के सचिव ब्रजभूषण तिवारी द्वारा किया गया । इस अवसर पर विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री ख्याली रामजी, डॉ मधुसूदन झा, डॉ अजीत कुमार पाण्डेय, राजकुमार ठाकुर, गौरी शंकर मिश्र, रौशन सिन्हा, हरेन्द्रनाथ पांडे, धनंजय कुमार, रामजी पोद्दार, शशि भूषण मिश्र एवं पूरे देश से पांच सौ प्रतिभागी जुडे थे। मीडिया प्रभारी शशि भूषण मिश्र (भागलपुर विभाग )