अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में एक महिला क्या सोचती है... यह जानना बहुत दिलचस्प है.. चलिए तो हम महिलाओं से ही सुनते हैं इस खास दिन को लेकर उनके विचार!! आप अपने परिवार की महिलाओं को कैसे सम्मानित करना चाहेंगे? महिला दिवस के बारे में आपके परिवार में महिलाओं की क्या राय है? एक महिला होने के नाते आपके लिए कैसे यह दिन बाकी दिनों से अलग हो सकता है? अपने परिवार की महिलाओं को महिला दिवस पर आप कैसे बधाई देंगे... अपने बधाई संदेश फोन में नम्बर 3 दबाकर रिकॉर्ड करें.

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बिहार राज्य के जमुई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजीत पांडेय जानकारी दे रहे हैं की गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है और इसमें कुछ सच्चाई हो सकती है , लेकिन जो लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं कई मामलों में वृद्धि भी हुई है। इसकी रिपोर्टिंग शायद सरकार के पास नहीं है।ऐसे कई परिवार हैं जिनका अपना घर नहीं है और वे सड़क पर दिखाई देते हैं।इस तथ्य के बावजूद कि भारत तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है , भारत में गरीबी की दर काफी अधिक है। लेकिन इसका ध्यान रखना होगा और अगर झुग्गियों में रहने वाले उन लोगों की जान बचाई जाए जिन्हें दो बार का भोजन भी नहीं मिलता है।

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से रंजीत पांडेय ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि आत्महत्या करना निंदनीय है और आत्महत्या करना किसी समस्या का समाधान नहीं है ।आत्महत्या का मुख्य वजह है,पति-पत्नी में सही तालमेल का अभाव ,सा-बहू के बीच विवाद,दहेज उत्पीड़न,इत्यादि। समस्याओं से तंग आ कर महिलाएं आत्महत्या करती हैं। अगर महिलाओं के साथ कोई समस्या है तो वो आवाज उठाएं और सरकारी तंत्र से सहायता लें। जुर्म करने वाले से ज्यादा गुनहगार होता है जुर्म सहना। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

पिछले 10 सालों में गेहूं की एमएसपी में महज 800 रुपये की वृद्धि हुई है वहीं धान में 823 रुपये की वृद्धि हुई है। सरकार की तरफ से 24 फसलों को ही एमएसपी में शामिल किया गया है। जबकि इसका बड़ा हिस्सा धान और गेहूं के हिस्से में जाता है, यह हाल तब है जबकि महज कुछ प्रतिशत बड़े किसान ही अपनी फसल एमएसपी पर बेच पाते हैं। एक और आंकड़ा है जो इसकी वास्तविक स्थिति को बेहतर ढ़ंग से बंया करत है, 2013-14 में एक आम परिवार की मासिक 6426 रुपये थी, जबकि 2018-19 में यह बढ़कर 10218 रुपये हो गई। उसके बाद से सरकार ने आंकड़े जारी करना ही बंद कर दिए इससे पता लगाना मुश्किल है कि वास्तवितक स्थिति क्या है। दोस्तों आपको सरकार के दावें कितने सच लगते हैं। क्या आप भी मानते हैं कि देश में गरीबी कम हुई है? क्या आपको अपने आसपास गरीब लोग नहीं दिखते हैं, क्या आपके खुद के घर का खर्च बिना सोचे बिचारे पूरे हो जाते हैं? इन सब सरकारी बातों का सच क्या है बताइये ग्रामवाणी पर अपनी राय को रिकॉर्ड करके

बिहार राज्य के गिद्धौर जिला से मोबाइल वाणी के माध्यम से डब्लू पांडेय के साथ अभिषेक पांडेय ने बन्दर मामा पर कविता सुनाया

बिहार राज्य के जमुई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजीत पांडेय जानकारी दे रहे हैं की महिलाएँ अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों के बारे में किसी से बात नहीं करतीं , वे सोचती हैं कि यह मेरा पति है , यह मेरा बेटा है , मैं किससे बात करूंगी और इस कारण से , वह चुप्पी साधे रहती है। समाज भी शायद इस चुप्पी का अनुचित लाभ उठाता है और महिलाओं पर अत्याचार की सीमा बढ़ रही है । उन्हें अपने अत्याचारों की रिपोर्ट करनी होगी। समाज में ऐसे लोग भी हैं जो एक साथ बैठते हैं और इसे हल करते हैं और यह अधिक प्रभावी है क्योंकि समाज द्वारा दिया गया न्याय कहीं न कहीं जमीनी स्तर से जुड़ा होता है और मुद्दों पर आधारित होता है और स्पष्ट होता है । अगर ऐसा होता है तो समाज को इस मामले में हस्तक्षेप जरूर करना चाहिए और अगर ऐसी कोई घटना होती है तो एक साथ बैठकर इसका समाधान निकालना चाहिए , तभी आधी आबादी का हाथ महिलाओं को मिलेगा ।

बिहार राज्य के जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड की साशा कुमारी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से एक कविता सुनाया है

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