मेरा नाम सलिल कुमार है । मैं कविता सुनाऊंगा । जमुनडे को काली काली लटका है डाली डाली तो लॉक में जाओ दाल का खूब बनाओ गिर पड़े , तब तक हम खाएँगे ।