दिल्ली के सुंदरनगरी से मिथलेश श्रमिक वाणी के माध्यम से कहती है कि महिलाओं को उनके ज़रुरत अनुसार और परिस्थिति अनुसार जमीनी अधिकार मिलना चाहिए। तभी वो संपन्न हो सकती है। उनकी परिस्थिति को समझना चाहिए। कोई अधिकार लेना चाहता है और कोई अधिकार नहीं लेना चाहता है
