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आपको बताना चाहते हैं कि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के दिशा-निर्देशों के बाद भी अधिकांश बैंक सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए दृष्टिबाधितों को एटीएम कार्ड देने में आनाकानी करते हैं। इसका दूसरा कारण यह है कि पढ़े-लिखे होने के बावजूद भी अधिकांश दृष्टिबाधित व्यक्ति आज भी अंगूठे का निशान लगाकर पैसा निकालना अधिक सुरक्षित समझते हैं, जिसके कारण बैंक उन्हें अशिक्षित मानते हुए एटीएम की सुविधा देने से मना कर देते हैं। एक सर्कुलर में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने कहा था कि “नेत्रहीन लोगों को किसी भी बैंकिंग सुविधा से वंचित नहीं रखा जा सकता।“ इसमें चेक बुक, एटीएम, क्रेडिट कार्ड, लॉकर सुविधा इत्यादि सभी चीजें शामिल की गयी थीं। इसी वजह से उसने बैंकों को एक तिहाई एटीएम्स में ऐसे सॉफ़्टवेयर लगाने की हिदायत दी, जिससे सुनकर भी उनका प्रयोग किया जा सके, लेकिन अभी भी इन टॉकिंग एटीएम्स की संख्या काफ़ी कम है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक दृष्टिबाधित वकील जार्ज अब्राहम द्वारा दाखिल “दृष्टिबाधितों की बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं तक पहुँच नहीं” विषयक जनहित याचिका पर भारतीय रिज़र्व बैंक, सामाजिक न्याय एवं वित्त मंत्रालय से जवाब माँगा है। याचिका में कहा गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के 2015 के मास्टर सर्कुलर के बावजूद अधिकांश एटीएम्स में टॉकिंग सॉफ़्टवेयर और उसके बटनों पर ब्रेल लिपि की सुविधा नहीं है। इस याचिका में अदालत द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह सभी बैंकों से अपने मास्टर सर्कुलर का पालन कराते हुए दृष्टिबाधितों के लिए सुविधाजनक एटीएम्स लगवाए। इस स्थिति को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि आपकी यह समस्या जल्द ही दूर हो जाएगी।
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July 22, 2020, 12:14 p.m. | Tags: int-PAJ   disability   governance   rural banking