श्रीमान किशोर से जब यह पूछा गया कि अपने दोस्तों के प्रति सच्ची और आत्मीय भलाई कैसी होती है - तो उन्होंने यह कहानी सुनाई। " एक बार तीन नौजवान एक बूढ़े अरब के पास पहुंचे और उससे कहने लगे 'हमारे अब्बा जान की मौत हो गयी है। अपने पीछे वह सतरह ऊंट छोड़ गए हैं। और वसीयतनामे में लिख छोड़ा है कि इनमे से आधे बड़े को, एक तिहाई मंझले को और इनका नौंवा हिस्सा सबसे छोटे को दिया जाएगा।जायदाद का बटवारा किस तरह से किया गया कहानी को विस्तार पूर्वक जानने के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और पूरी बातों को।