1: पीएफ से जुड़ी खबर, अब अधिकतम 60 प्रतिशत राशि खाते से निकाल सकेंगे ईपीएफओ अब नया प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं।। इससे ईपीएफओ सदस्य पीएफ से अधिकतम 60 प्रतिशत राशि ही निकाल सकेंगे। खबरों के अनुसार ईपीएफओ ने पीएफ निकालने के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह नया प्रस्ताव तैयार किया है कि इन नियमों में बदलाव किया जाए।कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसके मुताबिक अकाउंट धारक सिर्फ कुल रकम का 60 फीसदी हिस्सा ही निकाल सकेगा। मौजूदा नियम के अनुसार नौकरी छोड़ने और दो महीने तक बेरोजगार रहने की स्थिति में व्यक्ति पीएफ का पूरा पैसा निकाल सकता है, लेकिन नए प्रस्ताव के मुताबिक अगर ऐसा हुआ तो इस दो महीने की अवधि में ज़रूर ढील दी जाएगी और इसे कम करके एक महीना कर दिया जाएगा, लेकिन सदस्य नौकरी छूटने की हालत में भी पूरी रकम नहीं निकाल पाएंगे। सिर्फ 60 प्रतिशत रकम ही निकाली जा सकेगी।हाल के वर्षों में बड़ी संख्‍या में ईपीएफओ सदस्य अपने पीएफ अकाउंट से पूरा पैसा निकालने लगे हैं। इससे संगठन की चिंता बढ़ गई है। इस प्रस्‍ताव का मकसद पीएफ सब्‍सक्राइबर्स की सदस्‍यता बनाए रखना और बेरोजगारी के दौरान सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी उनकी जरूरतों को पूरा करना है। 2: भारत में टैलेंटेड लोगों की भरमार इसलिए 2030 तक नहीं बढ़ेगा मेहनताना नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत दुनिया की एकलौती अर्थव्यवस्था होगी, जिसमें साल 2030 तक मेहनताना में इजाफा नहीं होगा। एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में टैलेंटेड लोगों की भरमार है जबकि वैश्विक स्तर पर स्थिति इसके उलट है। स्टडी में पाया गया है कि अन्य देशों की तुलना में ''भारत के पास साल 2030 तक प्रतिभावान लोगों की संख्या जरूरत से अधिक होगी।'' कॉर्न फेरी की ''द सैलरी सर्ज'' नामक स्टडी में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर, अत्यधिक कुशल कर्मचारियों की कमी की वजह से 2030 तक ऐसे लोगों का वेतन अधिक हो सकता है। यह वर्ष 2030 तक दुनिया भर के संगठनों के लिए वार्षिक श्रम लागत में 2.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का इजाफा कर सकता है।इस स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जैसे कि अमेरिका, चीन और जर्मनी तेजी से कर्मचारी लागत बढ़ने की स्थिति का सामना कर सकती हैं। ग्लोबल टैलेंट क्रंच ने शोध में पाया है कि भारत समेत दुनिया के 20 प्रमुख बाजारों में श्रमिकों की वैश्विक मांग के लिए साल 2020, साल 2025 और साल 2030 के तीन माइलस्टोन हैं, जो कि तीन प्रमुख सेक्टक वित्तीय एवं बिजनेस सर्विस, तकनीक और मीडिया एवं टेलिकम्युनिकेशंस (टीएमटी) एंड मैन्युफैक्चरिंग हैं। वैश्विक रूप से अमेरिकी कंपनियों को उम्मीद है कि उसे 531 बिलियन डॉलर के साथ इस मुश्किल का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ेगा। वहीं एशिया पैसिफिक में सैलरी में इजाफा साल 2030 तक सालाना पैरोल में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक का इजाफा हो सकता है।