राजधानी दिल्ली आयानगर से राम करन साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से उनका कहना है कि वर्करों को ज्यादा परेशान किया जाता है तो वो मज़बूरी में लेबर कोर्ट में पहुंचते हैं। लेकिन जब लेबर कोर्ट में केस चलता है तो वो साल भर या छह महीने चलता है उसके बाद और बढ़ते जाता है। कुछ कंपनी वर्कर को कम्पनी में वापस रखने का झांसा दिया जाता है जिस कारण वर्कर नोटिस नहीं दे पाते हैं। इसलिए वो चाहते हैं की जो कंपनी ऐसा करती है उस कंपनी में कानून का प्रावधान किया जाये