मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से नितेश जी कहते है कि काव्य की कहानी अच्छी लगी। उसे कंपनी में अलग से प्रशिक्षण देनी चाहिए थी और उसे भी ले लेनी चाहिए थी। इसलिए विकलांग लोगों को कभी भी हार नहीं मानना चाहिए।