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झारखण्ड राज्य के देवघर जिला से नंदू दास झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से वर्षा जल संरक्षण के फ़ायदे को बताया हैं। वर्षा होने पर जल को इकठ्ठा कर के जल की आपूर्ति को कम करते हैं।चूँकि उनके घर में चापाकल व कुँवा उपलब्ध नहीं हैं इसलिए संरक्षित जल को घरेलु कामकाज़ व सिंचाई के लिए प्रयोग में लाते हैं।
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जैसा की आप सब ने बताया की वर्षा जल संचयन के बहुत सारे पारम्परिक तरीके है, पर संचयन के बाद आप इस पानी का इस्तेमाल कैसे करते हैं ? क्या आप संचित जल का उपयोग सिचाई या मछली पालन के लिए करते हैं या फिर किसी और काम के लिए ? वैसे आप को पता तो है न की ठहरे हुए साफ पानी में मच्छर भी पनप सकते है ? तो ऐसे में, पानी को मच्छर के प्रजनन भूमि बनने से रोकने के लिए आप क्या करते है ? ग्रामीण इलाकों में सिंचाई या मछली पालन तो हो सकता है पर अगर कोई शहरी क्षेत्र में रहते है या फिर ऐसी स्थिति में रहते है जहाँ खेती और मछली पालन संभव नहीं है वे वर्षा जल का और किस तरीके से उपयोग कर सकते है ? क्या आप ने कुछ अलग तरीके से इस पानी को उपयोग करने की कोशिश की है ? आप को क्या लगता है, आप की कोशिश लोगो के ज़िन्दगी में बदलाव लेन में कितनी शक्षम होगी?
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झारखण्ड राज्य के पूर्वी सिंघभुम के पोटका प्रखंड से धरनी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि पोटका प्रखंड स्थित चारि डेम से नहर निकाला गया है। उसी नहर के पानी से जमशेदपुर प्रखंड के दलदली पंचायत के सभी किसान भरपूर फायदा उठा रहे हैं तथा खेतों में पानी भर जाने से किसान ख़ुशी-ख़ुशी अपने खेतों में धान का पौधा लगा रहे हैं।
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