मंदी पर चर्चा का सफर अपने आखिरी मुकाम तक पहुंच गया है. यह तक पहुंचते हुए हमने श्रमिकों के दर्द, किसानों की तकलीफ, युवाओं की चिंता और परिवार के दुख..जैसे हर विषय पर बात की. जाहिर सी बात है कि मंदी ने कई परिवारों से उनका सुकून छीना है. लोग सुबह की रोटी खाने के बाद शाम की रोटी की उम्मीद लिए बैठे हैं और दुख की बात ये है कि देश की सरकारी, सरकारी संस्थाएं राजनीति से समय ही नहीं निकाल पा रही हैं. मोबाइलवाणी के अभियान "मंदी का मकड़जाल" में हिस्सा लेने वाले श्रोताओं ने अपनी मांगें सरकार के सामने रखी हैं. तो चलिए सुनते हैं आखिर मंदी से परेशान जनता देश की सरकार से क्या मांग रही है?

मंदी के मकड़जाल में देश का हर वर्ग फंसता नजर आ रहा है. लेकिन ना जाने क्यों सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगती. लोग नौकरियां खो रहे हैं, किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं, लोग पलायन कर रहे हैं...शहर और गांव दोनों जगह परेशानियां हैं ऐसे में आप क्या करेंगे? हमें बताएं..फोन में नम्बर 3 दबाकर.

दोस्तों, इन दिनों देश में एक अजीब सी स्थिति बनी हुई है. युवा, शिक्षक, कामकाजी वर्ग के लोग अपनी अलग—अलग मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं. समाज में धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर अफवाहें फैलाई जा रही हैं और इस पूरी राजनीति में देश व्यस्त है. जबकि एक और समस्या है जो हमाारे देश के किसान झेल रहे हैं. यह समस्या है मंदी. मंदी ने किसानों से उनकी फसलों का उचित मूल्य तो छीना ही साथ ही मंडी के व्यापार पर भी बुरा असर डाला है. जबकि सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है. इस मसले पर हमनें इस बार अपने अभियान में बात की किसान और मंदी की. तो चलिए सुनते हैं कि इस विषय पर हमारे श्रोता क्या कहते हैं?

मंदी के मकड़जाल ने केवल श्रमिकों को ही मजबूर नहीं बनाया है बल्कि किसानों के हालात भी बदत्तर कर दिए हैं. मंदी कैसे किसानों की दिक्कतें बढ़ा रही है...इस पर चर्चा करना चाहते हैं तो अभी क्लिक करें और सुनें यह खास कार्यक्रम!