जिला बोकारो प्रखंड चंद्रपुरा से नरेश महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की पूर्व भू- राजस्व मंत्री मथुरा प्रसाद महतो के कार्यकाल में गैर मजुरवा बंदोबस्ती जमीनों का रशीद निर्गत करने का कार्य बंद कर दिया गया था ।उन्ही गैर मजूरवा जमीनों को वर्तमान सरकार लैंडबैंक की संज्ञा दे रही है।दोनों ही सरकारों ने किसानों के हितो की अनदेखी की है।अब सरकारी पदाधिकारी इन गैर मजूरवा जमीनों पर बने मकानों को अवैध बता कर अपनी रोटी सेकने में लगे है। ऐसा ही एक मामला चंद्रपुरा प्रखंड अंतर्गत नर्रा पंचायत अधीनस्थ हरला टांड निवासी चक्रधारी पंडित को अंचल कार्यालय चंद्रपुरा के पत्रांक 252 दिनांक 27/2/2017 को नोटिस जारी कर खाता संख्या 130 ,थाना संख्या 89 प्लॉट संख्या 107 में वर्षो पूर्व बने मकान को अवैध बता कर कागजात प्रस्तुत करने को कहा गया है।जिसकी तारीख छह मार्च को निर्धारित की गयी है। चंद माह पूर्व इसी खाता में नर्रा पेस्ट कार्यालय के समीप पूरण महतो जी का टुल्लू महतो ने गैर मजूरवा जमीन पर घर बनाया था।इस खाता में घटियारी पंचायत में पोखरिया अलारगो पंचायत निवासी नारायण महतो घर बना रहे है।लोगो का कहना है की ये सारे मामलो की जानकारी अंचलाधिकारी रखते है फिर भी लोगो के नाम नोटिस जारी करते है पर कारवाई नहीं करते है।

जिला बोकारो चंदरपुरा से नरेश महतो जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि हमारे झारखण्ड में गरीबी और बदहाली का जीवन जी रहे हैं आम जनता जहाँ डेढ़ लाख सैलरी पाने वाले सांसदों की सैलरी इन्कमटैक्स फ्री है वहीँ 24 घंटे मौत की छाव में रहने वाले सिपाही को मात्र बीस हजार सैलरी पर भी इन्कमटैक्स लगता है। और एक तरफ छह छह महीने बाद यहाँ के शिक्षक एवं सहियाओं को पेमेंट भी नहीं मिलती है। सांसदों को परिवार के साथ रहते हुए हर साल 50000 रूपया फोन कॉल फ्री मिलती है। जबकि घर से हजारों किलोमीटर दूर बैठे सैनिकों को एक भी कॉल फ्री नहीं है। हमारे यहाँ बल्ले खेलने वाले को भी ईनाम मिलती है। जबकि जान से खेलने वाली को इनाम नहीं मिलती है। भारत में लोक सभा और राज्य सभा को मिला कर कुल 776 सांसद हैं। इन सांसदों का पूरा वेतन पांच लाख होता है

बोकारो जिला के चंद्रपुरा प्रखंड अन्तर्गत बंदियों पंचायत से अशोक कर्मकार जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि बंदियों पंचायत में पूरी तरह से मनरेगा योजना की धज्जिया उड़ाई जा रही है। मनरेगा योजना के तहत गरीबों को जीवन यापन करने के उद्देश्य से जॉब कार्ड वितरण किया जाता है ,लेकिन बंदियों पंचायत में बिचैलियों द्वारा आज पूरी तरह से मनरेगा जॉब कार्ड का गलत उपयोग किया जा रहा है। वे बताते हैं कि इस पंचायत में ऐसे परिवारों का जॉब कार्ड बना हुआ है ,जो या तो बाहर रहते हैं या फिर किसी अन्य कामों में व्यस्त रहते हैं बावजूद इसके उनका खाता मनरेगा से जोड़ा गया है। इतना ही नहीं मनरेगा के तहत सारा काम जेसीबी मशीन से कराया जाता है तथा जॉब कार्ड के जरिये बिचौलियों द्वारा सारा पैसा उठाया जाता है। गौर करने वाली बात यह हैं कि बिचौलियों द्वारा जॉब कार्ड के बदले जॉब कार्डधारी को 300 रुपये प्रति महीने के हिसाब से पैसे दिया जाता है। अत: वे कहते हैं कि सरकार को इस समस्या की ओर ध्यान देने की जरुरत है ताकि इस योजना का लाभ सही लोगों को मिल सके।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.