दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा साथ में सूरजमुखी वर्मा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से महिला हिंसा पर कहती है की महिलाओ पर हिंसा की जा रही है उन्हें डायन कह कर प्रताड़ित किया जाता है महिला होने के नाते भी उन्हें राजनीती नहीं करने दी जाती है प्रवेश नहीं मिलता है. लोग ऐसा सोचते है की महिलाऐ अपने कार्य को नहीं कर सकती है महिला आरक्षण बिल पर कहती है की महिलाओ को आरक्षण मिलना चाहिए,समाज को जागरूक करने की जरुरत है महिलाओ को शिक्षित करने की जरुरत है क्योकि अभी भी ग्राम स्तर पर महिलाये काफी अशिक्षित है शिक्षित होगी तभी तो अपने अधिकारो को जानेंगी।
दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा साथ में सूरजमुखी वर्मा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से महिला हिंसा पर कहती है की महिलाओ पर हिंसा की जा रही है उन्हें डायन कह कर प्रताड़ित किया जाता है महिला होने के नाते भी उन्हें राजनीती नहीं करने दी जाती है प्रवेश नहीं मिलता है. लोग ऐसा सोचते है की महिलाऐ अपने कार्य को नहीं कर सकती है महिला आरक्षण बिल पर कहती है की महिलाओ को आरक्षण मिलना चाहिए,समाज को जागरूक करने की जरुरत है महिलाओ को शिक्षित करने की जरुरत है क्योकि अभी भी ग्राम स्तर पर महिलाये काफी अशिक्षित है शिक्षित होगी तभी तो अपने अधिकारो को जानेंगी।
दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है की दुष्कर्म थमने का नाम नहीं ले रहा आज 12 वर्ष की नाबालिग युवती के साथ दुष्कर्म करते हुए मनोज जायसवाल को ग्राम वालो ने पकड़ा, बाँधा और काफी पिटा है. इस मामले में नगर थाणे में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी और आरोपी को जेल भेज दिया गया है.
दुमका से शैलेन्द्र सिन्हा साथ में अनन्या सिन्हा झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से महिला आरक्षण बिल पर कहती है की महिलाओ को कम से कम 50%आरक्षण मिलना चाहिए और यह लोकसभा में पास होने के बाद ही मिल सकता है आज महिलाओ को आर्थिक रूप से मजबूत होना होगा इसके लिए हमें चाहिए की हम महिलाओ की आर्थिक स्थिती को लेकर आवाज उठाये और महिला आरक्षण बिल को पास करवाए।महिला अधिकारों और महिला सुरक्षा को लेकर तमाम प्रावधानों के बावजूद इसका संयुक पालन नहीं हो पा रहा है इसका एक बड़ा कारण है समाज और हमारे समाज का नजरिया जो की हरहाल में बदलना चाहिए ऑयर महिलाओ को उनका हक़ हर हल में मिलना चाहिए फिर भी आज महिलाओ को उनका हक़ नहीं मिल पा रहा है झारखण्ड में महिला प्रताड़ना के मामले बढ रहे है बढे विकास और वादों के नाम पर सिर्फ वादे ही किये जा रहे है महिलो के विकास,संघठन और आत्मनिर्भरता हेतु घोषणा की जाती है पर वे धरी की धरी रह जाती है कानून भी बने है पर सब किताबो और कागजो में कैद. यदि फुलमनी को न्याय नहीं मिलता तो सारे विकास के दावे खोखले साबित होते।इसलिए आज महिलोको आरक्षण मिलना बहुत ही जरुरी हो गया है क्योंकि आज महिलाये आरक्षित नहीं होगी तो टोवे अपने मुद्दों को नहीं उठा पाएंगी और दिन-प्रतिदिन दबती चली जायंगी,इसलिए हमें ये मुद्दा उठाना बहुत ही जरुरी है.
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दुमका:दिलीप कुमार मुर्मू झारखण्ड मोबाइल वाणी में यह जानकारी दे रहे है कि होली के समान उनके संथाली सामाज में एक 'बहा' पर्व मनाया जाता है।जब फूलो की नई कोपलें निकलती है। तब लोग उल्लासित होते है और यह साल का पहला पर्व होता है और आज से इसकी शुरुआत हो रही है आज संथाल समाज में देवी देवताओं के लिए एक छोटा सा घर बनाया जाता है ताकि उनको कुछ अराम मिले गर्मी बरसात में वो बचे, इस तरह की मान्यता है कि हमारे भगवान हमारे लिए कास्ट सहते है इस लिए उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए।उनकी पूजा अर्चना के बाद दुसरे दिन पुरोहित (नाइके) के पैरो को धोया जाता है और वे साल के फूल स्वीकार करते है। उसके बाद वापस आकर उनके घर में थोड़ी से पूजा अर्चना होती है और प्रसाद के रूप में हडिया सारे गाँव वालो को पिलाते है।
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