झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से जे एम रंगीला झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड में आदिवासी बहुल पंचायत सियारी के अंतर्गत डुमरी राजस्व गावँ में स्थित बिरहोर टंडा में आदिम जनजाति बिरहोर के 26 परिवार निवास करते हैं। जिसकी आबादी 140 के करीब है। विलुप्त होने के कगार पर स्थित इस आदिम जनजाति के अस्तित्व रक्षा एवं विकास के लिए सरकार काफी राशि व्यय करती है। परन्तु धरातल पर अवलोकन करने पर प्रतीत होता है कि सारी की सारी राशि बिचौलिये डकार जाते हैं ,अथवा समाज कल्याण विभाग सही तरिके से खर्च ही नहीं कर पाते हैं । विधुत व विद्यालय की व्यवस्था होने के बावजूद सड़क सम्पर्क पथ का घोर अभाव है। यदि कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाये तो उसे चारपाई पर डुमरी स्टेशन अथवा गोमिया अस्पताल पहुंचाने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता । पेय जल की व्यवस्था के लिए पेय जल एवं स्वछता विभाग से की गयी है परन्तु नहाने धोने की कोई व्यस्था नहीं है। यदि चरकपनिया नाला को मजबूती के साथ बाँध दिया जाये तो नहाने धोने की मुकमल व्यवस्था अवश्य हो जाएगी। डुमरी में उप स्वस्थ्य केंद्र है जिसमे सप्ताह में एक दिन एनएम रेखा कुमारी आतीं हैं साथ ही डॉक्टर का भी अभाव है । एनएम रेखा कुमारी मात्र खानापूर्ति कर चली जाती हैं। ऐसे में क्या किसी भी मरीज की इलाज संभव है ?रोजगार का कोई साधन नहीं है। कुछ कामों में बिरहोर इतने अच्छे कारीगर है कि कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर इन्हे रोजगार मुहैया कराया जा सकता है। पर इस तरफ किसी का भी ध्यान नहीं है।