जिला बोकारो,प्रखंड चंदरपुरा से नरेश महतो जी मोबाईल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि हर किसान यह चाहता है कि उसकी फसल अच्छी हो। पैदावार को बढ़ाने के लिए किसान ज्यादातर रासायनिक खाद और कीटनाशक दवा का प्रयोग करने लगते है। जिसके फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति ख़त्म हो रही है।वर्तमान समय में जैविक खाद का प्रयोग नहीं के बराबर हो रही है। किसान अपने मेहनत का पूरा लाभ पाने के लिए अपने खेतों में यूरिया,डीएपी जैसे कई तरह के रासायनिक खादों का प्रयोग करते है। साथ ही तरह -तरह के कीटनाशक दवाओं का भी अधिक प्रयोग कर रहे हैं जिससे उपजाऊ जमीन बंजर जमीन में तब्दील होती जा रही है। वे कहते हैं कि भारतीय शोधकर्ताओं के अनुसार जब देश अंग्रेजों का गुलाम था तब हमारे यहाँ खेती का कुल उत्पादन पूरी दुनिया का तैंतीस प्रतिशत था। तब देश में कोई आधुनिक तकनीक नहीं थी। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत में कृषि का कुल उत्पादन विश्व स्तर पर 0.02 प्रतिशत है। फिर भी ऐसी क्या वजह है की किसान आत्महत्या क्र रहे हैं? यह एक विचारणीय प्रश्न है। वे कहते हैं कि खेतों की उर्वरा शक्ति को बनाने के लिए किसानों को खेती करने के लिए गोबर और गोमूत्र का ही प्रयोग करना चाहिए।