जिला बोकारो पेटरवार से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि यह तो सभी जानतें हैं कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है। यह भारत में कुछ समाज में प्रचलित सामाजिक प्रक्रियाओं से जोड़ा जाता है। कानून द्वारा विवाह का उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित है, परन्तु इस कानून के बावजूद बाल विवाह के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। इस तरह के अधिकांश मामले ख़राब सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में देखने को मिलता है। अशिक्षा भी बाल विवाह का एक मुख्य कारण है।भारत के कुछ क्षेत्रों में बाल विवाह के अधिक मामले देखने को मिलता है। इसका नकारात्मक प्रभाव लड़के और लड़की दोनों में देखने को मिलता है।इसके फलस्वरूप शारीरिक विकास एवम मानसिक तथा भावनात्मक स्थिति शिक्षा पर पड़ता है। कम उम्र में शादी के फलस्वरूप जो बच्चे पैदा होते हैं वे अत्यधिक कमजोर होते हैं। सरकार बाल विवाह को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है, शिक्षा में विस्तार के जरिये,विभिन्न संचार के माध्यम से,नुक्क्ड़ नाटक,विज्ञापन एवं कार्यशाला आदि के जरिये होने वाले हानियों के बारे में बताया जा रहा है।