टेटिया बंबर प्रखंड क्षेत्र के जंगली और आदिवासी इलाका के अब कच्ची शराब माफियाओं के चंगुल में है क्षेत्र में कई अवैध शराब बनाने की भट्टियां सुलग रही हैं और प्रखंड ही नहीं जिला मुख्यालय और तारापुर तक इसकी खुलेआम सप्लाई हो रही है जंगल में कच्ची शराब के लिए सदियों से बदनाम रहा है धपरी स्थित जंगल में दर्जनों भट्टियां संचालित हो रही हैं जिनसे प्रतिदिन 1000 लीटर से ज्यादा अवैध शराब की पैदावार होती है यह शराब प्रखंड के अलावा खड़कपुर तारापुर संग्रामपुर समेत कई में इसकी सप्लाई की जा रही है ऐसा नहीं कि अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं, बल्कि अधिकारी मिलीभगत के चलते किसी बड़ी कार्रवाई को अंजाम नहीं देते ऊपर से फटकार लगने पर चंद छोटे कारोबारियों को गिरफ्त में लेकर पूरे मामले की इतिश्री कर ली जाती है पारा जैसे-जैसे बदलता है, नशे का अवैध कारोबार बढ़ता जाता है। जानकारों की मानें तो गर्मी का मौसम कच्ची शराब के लिए एकदम सही समय है जंगल की तलहटी में गढ्डा खोदकर उसमें पालीथीन बिछाई जाती है इसके बाद महुआ शराब बनाने में इस्तेमाल होता है डालकर उसमें पानी भर दिया जाता है शराब माफियाओं के लिए काफी मुफीद है पुलिस हो चाहे आबकारी विभाग की कार्रवाई, माफियाओं एवं उनके गुर्गों को लापता होने में समय नहीं लगता पुलिस टीम आते देख माफिया और उनके गुर्गे जंगल में छिप जाते हैं और पुलिस देखती रह जाती है अब होता है जहर का कारोबार कच्ची शराब का यह कारोबार अब केवल नशे का नहीं रहा शराब माफिया लोगों की आदतों में इस नशे को शामिल करने के लिए जो वस्तुएं मिला रहे हैं, उससे यह किसी खतरनाक जहर से कम नहीं एक पुराने माफिया के अनुसार महुआ को सड़ाने के बाद उसे भट्ठी पर चढ़ाया जाता है इसके बाद नली लगाकर बूंद-बूंद शराब टपकाई जाती है अधिक नशीला बनाने के लिए इस शराब में नौसादर, चूना, यूरिया, डिटरजेंट पाउडर व हानिकारक केमिकल भी डाले जाते हैं