दुनिया में जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र करीब तीन दशक पहले से ही जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से निपटने की कोशिशों में जुट गया था, लेकिन उसके प्रयास अभी भी पूरी तरह से सिरे नहीं चढ़ सके हैं।हर साल की तरह इस बार भी संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन शुरू हो चुका है, जिसमें दुनिया के 196 देश हिस्सा ले रहे हैं। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन के तहत कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी)-25 इस बार 2 से 13 दिसंबर तक स्पेन में आयोजित किया जा रहा है।धरती का तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसका कारण है ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन। इस सम्मेलन का उद्देश्य सभी देशों को उनके वादों को याद दिलाना भी है। जिसमें उन्होंने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की बात कही थी। साथ ही 2015 के पेरिस जलवायु समझौते को पूरी तरह से लागू करने की बात भी की जाएगी।संयुक्त राष्ट्र की तीन अलग-अलग रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, भूस्खलन, सूखा और चक्रवातों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे दुनिया के साढ़े तीन करोड़ लोगों के सामने खाद्य सुरक्षा का संकट खड़ा हो गया है।इसके साथ ही चीन दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और बांग्लादेश में कोयले से चलने वाले पॉवर प्लांट के लिए आर्थिक सहायता मुहैया करा रहा है।कार्बन उत्सर्जन को लेकर दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर हुई है।पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने की ओर भारत तेजी से बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की रिपोर्ट के मुताबिक भारत न सिर्फ अपने लक्ष्यों को पाने में कामयाब हो रहा है बल्कि लक्ष्य पाने की दिशा में उसका काम 15 फीसद ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन पुरे विश्व के लिए बहुत बड़ी समस्या बन कर उभरी है और इस समस्या से निपटने के लिए सभी देश प्रयास भी कर रहे हैं। लेकिन इन प्रयासों से भी सबकुछ नहीं सुधर पायेगा हमें भी इनके लिए प्रयास करने होंगे अब आप हमें बताएं की कैसे अपने स्तर पर इस समस्या को खत्म करने के लिए प्रयास किया जा सकता है.? हमें किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए,जिससे यह समस्या धीरे-धीरे समाप्त हो सके या फिर नियंत्रित हो सके। आप अपने विचार और अनुभव हमारे साथ साझा करें अपने फोन में नंबर 3 दबा कर।अगर यह खबर अच्छी लगी तो लाईक का बटन जरूर दबायें।