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दोस्तों किसी शायर ने क्या खूब कहा है? न रोने की वजह थी, न था हंसने का बहाना. खेल खेल में कितना कुछ सीखा, कितना प्यारा था वो बचपन का ज़माना. काश, लौट आए फिर से वो कल सुकून भरा बचपन मनाएं हर पल. सच में कितने मज़ेदार थे ना वह बचपन के दिन? चलिए एक बार फिर से उन्हीं दिनों को जीने की कोशिश करते हैं अपने बच्चों के संग उनके बचपन को एक त्यौहार की तरह मनाते हुए हंसते हुए, खेलते हुए, शोर मचाते बन जाते हैं उनके दोस्त और जानने की कोशिश करते हैं इस बड़ी सी दुनिया को उनकी नन्ही आंखों से और बचपन के उन प्यारे जनों को याद करने में आपका साथ देंगे बचपन बनाओ और मोबाइल वाणी की टीम .घर और परिवार ही बच्चों का पहला स्कूल है और माता पिता दादा दादी और अन्य सदस्य होते हैं उनके दोस्त और टीचर हो. साथ में ये भी कि बच्चों के दिमाग का पचासी प्रतिशत से अधिक विकास छह वर्ष की आयु तक हो जाता है. तो अगर ये कीमती साथ हमने गवा दिए. तो उनके भविष्य को उज्जवल बनाने का मौका हम खो देंगे. अब यह सब कैसे सही रखें? इसके लिए आपको सुनने होंगे हमारे आने वाले एपिसोड तब तक आप हमें बता सकते हैं कि किस तरह के देखभाल से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास सही रह सकता है. इससे जुड़ा अगर आपका कोई सवाल है या कोई जानकारी देना चाहते हैं तो रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नंबर 3 . सुनते रहिए कार्यक्रम बचपन मनाओ, बढ़ते जाओ.

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बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिला से रीना कुमारी, मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि आंगनबाड़ी केंद्र पर कोई भी सरकारी लाभ नहीं मिलता है। बच्चों के पढ़ाई में विकाश नहीं होता है।

आशा कार्यकर्ता ने बताया कि वो 24 दिन से अनिश्चित कालीन धरना पर बैठी है लेकिन कोई उनकी सुध लेने वाला नही है।जब तक सरकार उनकी नव सूत्री मांग को नही मान। लेती टब तक वो अपने कामो पर नही लौटेगी।

बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिला से कंचन मोबाइल वाणी के माध्यम से आशा देवी से साक्षात्कार ली हैं कि जिसमे उनका कहना है कि आंगनबाड़ी में उनके बच्चों को मेन्यू के हिसाब से खाना नहीं मिलता है तथा सड़क पर पानी भरने से आने जाने का साधन नहीं है

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